सीमा पर तनाव, आत्मनिर्भर भारत अभियान, फिर भी चीन पर भारत और निर्भर क्यों हुआ?
BBC
भारत और चीन के बीच तनाव जारी है. भारत में चीन की चीजों के बहिष्कार की बातें भी सुनी जाती हैं. लेकिन इन सबके बावजूद भारत का चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है. आख़िर इसकी वजह क्या है.
इस महीने की शुरुआत में भारत ने अपना पहला मेड इन इंडिया हल्का विमान उड़ाया. ये 17-सीटर डोर्नियर विमान अरुणाचल प्रदेश के पांच दूरस्थ शहरों को असम के डिब्रूगढ़ से जोड़ता है. इसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है.
यह भारत के सही मायने में आत्मनिर्भर बनने का ताज़ा उदाहरण था. प्रधानमंत्री ने दो साल पहले यानी 12 मई 2020 को भारत को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा की थी और 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज पेश किया था. पीएम मोदी ने इसे प्रमोट करने के लिए "वोकल फ़ॉर लोकल" जैसा आकर्षित स्लोगन भी दिया था. देश ने इसे सराहा. आनंद महिंद्रा जैसे उद्योगपतियों ने इसे 'गेम चेंजर' कहा.
प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर बनने का ये बड़ा फ़ैसला चीन के साथ बढ़ते तनाव के परिप्रेक्ष्य में आया था. आपको याद होगा कि भारत में लोगों को चीन पर अचानक इतना ग़ुस्सा आया कि कइयों ने अपने 'मेड इन चाइना' सामानों को नष्ट कर दिया और चीनी सामान कभी ना ख़रीदने का फ़ैसला किया.
उसी क्रम में मोदी सरकार ने दर्जनों चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया और चीन से आए कई इलेक्ट्रॉनिक सामानों को कस्टम से क्लीयरेंस मिलने में दिक़्क़त होने लगी. जनता को पैग़ाम साफ़ था कि चीनी सामान की जगह भारत में बने सामान ख़रीदे जाएं.
लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त ये है कि तमाम कवायदों के बावजूद उसके बाद से चीन में बने सामानों का आयात और तेज़ी से बढ़ा है. चीन ने हाल ही में भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार के आंकड़े जारी किए हैं जिसके अनुसार अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक ये व्यापार लगभग 130 अरब डॉलर था जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 44 प्रतिशत ज़्यादा था.