सीजेआई रमन्ना बोले, चुनाव निरंकुश शासन से बचने की गारंटी नहीं - प्रेस रिव्यू
BBC
जस्टिस रमन्ना ने 17वें पीडी देसाई मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया ट्रायल, मामलों को तय करने में मार्गदर्शक नहीं हो सकते.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कहा है कि चुनावों के ज़रिये सत्ता में बैठे हुए लोगों को बदल पाने का अधिकार, निरंकुश शासन से बचे रहने की गारंटी नहीं है. अंग्रेज़ी अख़बार, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि "लोकतंत्र को बचाये रखने के लिए यह ज़रूरी है कि तर्कसंगत और अतर्कसंगत, दोनों तरह के विचारों को जगह दी जाये. दिन-ब-दिन होने वाली राजनीतिक चर्चाएं, आलोचनाएं और विरोधियों की आवाज़ें, एक अच्छी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं. इनका सम्मान किया जाना चाहिए." उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की ख़ूबसूरती इसी में है कि इस व्यवस्था में आम नागरिकों की भी एक भूमिका है. अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, रमन्ना ने 17वें पीडी देसाई मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि "न्यायपालिका को पूर्ण स्वतंत्रता होनी चाहिए. इसे विधायिका या कार्यपालिका द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से नियंत्रित नहीं किया जा सकता, क्योंकि अगर ऐसा किया गया तो क़ानून का शासन छलावा बनकर रह जायेगा."More Related News