
सिलगेर आंदोलन के नेताओं को हिरासत में लिया गया, कार्यकर्ता बोले- प्रतिरोध कुचलने का प्रयास
The Wire
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के सिलगेर गांव में बीते नौ महीनों से सीआरपीएफ कैंप की स्थापना के ख़िलाफ़ ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं. 19 जनवरी को सार्वजनिक परिवहन की बस से आंदोलन के नेताओं का एक समूह राज्यपाल से मिलने रायपुर जा रहा था, जब पुलिस ने बीच रास्ते में उन्हें कोविड नियमों के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया और अन्य यात्रियों को बेरोक-टोक जाने दिया.
मुंबई: नौ लोगों का एक समूह 19 जनवरी को छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के सिलगेर गांव से छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मिलने के लिए रायपुर निकला था. इस समूह में सात पुरुष और दो महिलएं थीं. सभी की उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच रही होगी.
यही वो समूह था जो उनके गांव सिलगेर में जबरन बनाए जा रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) कैंप के खिलाफ पिछले नौ महीने से जारी शांतिपूर्ण आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है. वे लोग इसी कैंप की स्थापना के खिलाफ ग्राम सभा द्वारा लिए गए फैसले के संबंध में चर्चा करने के लिए राज्यपाल से मिलने से रहे थे.
लेकिन, रास्ते में ही कोंडागांव बस स्टॉप पर पुलिस ने उन्हें बस से बाहर निकालकर उनके दस्तावेज जब्त कर लिए गए और सभी को जबरन क्वारंटीन सेंटर भेज दिया गया.
बाद में जन अधिकार कार्यकर्ताओं के दबाव में 22 जनवरी को पांच लोगों को क्वारंटीन सेंटर से छोड़ दिया गया. बाकी बचे चार लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन उनमें लक्षण नहीं थे. उन्हें उनकी मर्जी के खिलाफ क्वारंटीन सेंटर में रखा गया.