सियासत की भेंट चढ़ गई पति-पत्नी की मोहब्बत? क्यों जुदा हो रहे स्वाति-दयाशंकर
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उत्तर प्रदेश की सियासत में सबसे चर्चित पति-पत्नी की जोड़ी एक बार फिर सुर्खियों में है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहीं स्वाति सिंह ने अपने पति और बीजेपी विधायक बने दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए एक बार फिर से अदालत में गुहार लगाई है.
उत्तर प्रदेश की सियासत में हाउस वाइफ से विधायक और योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री बनने तक का सफर तय करने वाली स्वाति सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं. स्वाति सिंह ने बलिया से बीजेपी विधायक बनने वाले दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने दयाशंकर सिंह के खिलाफ तलाक का मुकदमा फिर से शुरू करने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.
हालांकि, एक समय स्वाति सिंह अपने परिवार के लिए सड़क पर उतरी थीं और दयाशंकर सिंह के लिए राजनीतिक ढाल बन गई थीं. लेकिन अब स्वाति सिंह पति से अलग होना चाहती हैं. इसके लिए वो 10 साल पहले पारिवारिक न्यायालय में दायर तलाक के मुकदमे को फिर से शुरू कराना चाहती हैं. स्वाति सिंह के विधायक और मंत्री बनने से पहले ही उनके दयाशंकर सिंह से रिश्ते खराब थे.
2008 में रिश्ते बिगड़ने शुरू
स्वाति सिंह और दयाशंकर सिंह के बीच साल 2008 से रिश्ते बिगड़ने शुरू हुए थे और मामला तलाक तक पहुंच गया था. दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए स्वाति सिंह ने साल 2012 में लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय में मुकदमा दाखिल किया था. कोर्ट ने दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने और आपत्ति दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था. तलाक का मामला कोर्ट में चल ही रहा था कि दयाशंकर ने बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ एक विवादित बयान दे दिया.
दयाशंकर के बयान से बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई और उनसे फौरन किनारा करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. लेकिन, बसपा के नेताओं ने जवाबी हमले की तैयारी कर ली थी. उन्होंने राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन कर दयाशंकर सिंह पर जोरदार जुबानी हमला किया. इसी दौरान नसीमुद्दीन सिद्दीकी सहित बसपा नेताओं ने दयाशंकर की पत्नी स्वाति सिंह और उनकी बेटी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी. बस यहीं से स्वाति सिंह ने मोर्चा खोल दिया और ऐसे तेवर दिखाए कि हाईकमान को उनमें संभावनाएं दिख गईं.
स्वाति सिंह ने बचाव तो अपनी बेटी का किया लेकिन वह दयाशंकर के लिए ढाल बन गईं. उन्हें आमलोगों की सहानुभूति के साथ ही प्रदेश के बड़े नेताओं का स्नेह भी मिला. उन्होंने मायावती और बसपा नेताओं के खिलाफ धाराप्रवाह बोला. स्वाति सिंह की इस फायरब्रांड इमेज को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें सीधे प्रदेश महिला मोर्चा का अध्यक्ष बना दिया. फिर स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से उम्मीदवार बना दिया, जहां बीजेपी तीन दशकों से जीत के लिए तरस रही थी.
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