सिपाही के बेटे से माइनिंग किंग तक... रेड्डी ब्रदर्स, जिन्होंने कभी खोला था BJP के लिए दक्षिण का द्वार, अब रास्ता रोकने को तैयार
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कर्नाटक की सियासत और खनन कारोबार के बेताज बादशाह कहे जाने वाले रेड्डी ब्रदर्स ने बीजेपी के लिए पहली बार दक्षिण का द्वार खोला था, लेकिन अब उसी रास्ते पर खुद खड़े हो गए हैं. जनार्दन रेड्डी ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई है और 2023 में कर्नाटक की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में जानते हैं कौन हैं रेड्डी ब्रदर्स?
कर्नाटक की सियासत में एक लंबा सियासी वनवास झेलने वाले 'रेड्डी ब्रदर्स' की वापसी हो गई है. रेड्डी ब्रदर्स की राजनीति में वापसी से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं. पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी ने बीजेपी के साथ ढाई दशक पुराना नाता तोड़कर अपनी नई पार्टी बना ली है, जिसका नाम 'कल्याण राज्य प्रगति पार्टी' रखा है. कर्नाटक में बीजेपी के लिए दक्षिण का द्वार खोलने वाले रेड्डी ब्रदर्स अब उसी रास्ते को रोकने की तैयारी में हैं. ऐसे में सभी के मन में सवाल है कि कौन हैं 'रेड्डी ब्रदर्स' और उनकी सियासी ताकत क्या है?
एक पुलिस कॉन्स्टेबल का बेटा अपने दम पर खनन कारोबार की दुनिया का बेताज बादशाह बन जाता है और कर्नाटक की सियासत का तुरुप का पत्ता साबित होता है. ये कहानी जनार्दन रेड्डी की है जिन्होंने कर्नाटक की सियासत में बीजेपी को सत्ता के दहलीज तक पहुंचाया और दौलत कमाने की होड़ में इतने आगे निकल गए कि दो सालों तक जेल में रहना पड़ा. साथी ही अपने जिले बेल्लारी से वनवास झेलना पड़ा. करीब चार महीने बाद कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरने जा रहे हैं.
तीन में से दो भाई विधायक
कर्नाटक की राजनीति में जनार्दन रेड्डी और उनके भाइयों को 'रेड्डी ब्रदर्स' के नाम से जाना जाता है. रेड्डी ब्रदर्स तीन भाई हैं. सबसे बड़े गली करुणाकर रेड्डी फिर गली जनार्दन रेड्डी और सबसे छोटे गली सोमशेखर रेड्डी. जनार्दन रेड्डी के बड़े भाई करुणाकर रेड्डी हरपनहल्ली सीट से बीजेपी के विधायक हैं, जबकि छोटे भाई सोमशेखर रेड्डी बेल्लारी ग्रामीण सीट से विधायक हैं. इसके अलावा उनके दोस्त बीजेपी नेता श्रीरामुलु कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं. आंध्र प्रदेश से सटे हुए कर्नाटक इलाके में 'रेड्डी ब्रदर्स' की सियासी तूती बोलती है.
रेड्डी ब्रदर्स के पिता आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुलिस कॉन्स्टेबल थे, जिनका तबादला बेल्लारी हो गया था. उस समय आंध्र प्रदेश और कर्नाटक मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा हुआ करता था. साल 1956 में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बनने के बाद रेड्डी ब्रदर्स के पिता कर्नाटक के बेल्लारी में बस गए. करुणाकर, जनार्दन, सोमशेखर रेड्डी, इस तरह रेड्डी भाइयों का जन्म बेल्लारी में हुआ और यहीं पर उन्होंने पढ़ाई लिखाई की. जनार्दन रेड्डी अपने तीनों भाइयों में सबसे तेज थे और खनन के कारोबार को बुलंदी भी उन्होंने दी.
जनार्दन रेड्डी ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद कोलकाता की एक बीमा कंपनी के साथ काम करना शुरू किया. रेड्डी बीमा से जुड़े कई मामलों में दावों का समाधान करवाने में सफल हुए. इससे उन्होंने इतना पैसा कमाया कि उन्होंने चिटफंड कंपनी शुरू किया. जनार्दन रेड्डी ने राज्य में एक अखबार भी शुरू किया था जिसका नाम 'ए नम्मा कन्नड़ नाडु' यानी 'हमारी कन्नड़ भूमि' था. इस बीच जनार्दन रेड्डी और श्रीरामुलु के साथ दोस्ती बनी.
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