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सिद्धारमैया के खिलाफ जांच में गवर्नर के आदेश में ये है पेंच, अभी नहीं मिली है केस चलाने की परमिशन
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पीसी एक्ट के तहत मुकदमा चलाने के लिए धारा 19 के तहत अलग से मंजूरी की जरूरत होती है. राज्यपाल ने अभी तक यह मंजूरी नहीं दी है, सिर्फ सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी मिली है.
कर्नाटक (Karnataka) के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है. राज्यपाल ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा वैकल्पिक स्थलों के आवंटन में अनियमितताओं के संबंध में सीएम के खिलाफ जांच को मंजूरी दे दी है. लेकिन उनके खिलाफ अभी मुकदमा चलाने को मंजूरी नहीं मिल सकी है.
राज्यपाल ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मंजूरी दी है. इससे जांच एजेंसी को सिद्धारमैया के खिलाफ जांच करने की छूट मिल जाती है.
अभी क्यों नहीं चल सकेगा केस
राज्यपाल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 218 के तहत अभियोजन की भी मंजूरी दे दी है. इसके बाद किसी भी अदालत को बिना किसी जांच की जरूरत के, उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर सीधे कथित अपराधों का संज्ञान लेने की अनुमति मिल जाती है. हालांकि, पीसी एक्ट के तहत मुकदमा चलाने के लिए धारा 19 के तहत अलग से मंजूरी की जरूरत होती है. राज्यपाल ने अभी तक यह मंजूरी नहीं दी है, सिर्फ सिद्धारमैया के खिलाफ जांच की मंजूरी मिली है.
अगर पीसी एक्ट के तहत अपराधों को BNSS के तहत अपराधों के साथ जोड़ दिया जाता है, तो अभियोजन तब तक आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक राज्यपाल पीसी एक्ट की धारा 19 के तहत अलग से मंजूरी न दे दें.
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