साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल क्यों कह रहे हैं कि 'प्रकाशकों ने मेरे साथ ठगी की', प्रकाशकों का क्या कहना है
BBC
साहित्य अकादमी सम्मान पाने वाले विनोद कुमार शुक्ल ने वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन पर आरोप लगाया है कि उनके साथ ठगी की गयी है, जानिए पूरी कहानी.
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल ने हिंदी के दो बड़े प्रकाशन समूहों पर आरोप लगाया है कि वे उनके साथ 'ठगी' कर रहे हैं.
विनोद कुमार शुक्ल हिंदी के सम्मानित कवि-कथाकार है. उनकी अधिकांश किताबें वाणी प्रकाशन और राजकमल प्रकाशन से छपी हैं. उनका आरोप है कि उन्हें कम रॉयल्टी दी जा रही है और उनसे बिना पूछे दोनों प्रकाशकों ने उनकी किताबों के ई-बुक संस्करण छापे हैं.
बीबीसी के साथ फ़ोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मैं इतने सालों से ठगा जा रहा हूँ और अब दोनों प्रकाशकों से स्वतंत्र होना चाहता हूँ. हालांकि राजकमल और वाणी प्रकाशन का दावा है कि उन्हें लेखक की ओर से अनुबंध समाप्त किए जाने का पत्र नहीं मिला है और वे विनोद कुमार शुक्ल की शिकायतों पर उनसे बात करेंगे.
क्या है पूरा मामला?
मामला पिछले दिनों का है जब अभिनेता-लेखक मानव कौल ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि "इस देश के सबसे बड़े लेखक. इन्हें इस वक्त जितना प्यार मिल रहा है लोगों से वो इसके और इससे भी कहीं ज़्यादा के हक़दार हैं……. पिछले एक साल में, वाणी प्रकाशन से छपी तीन किताबों का इन्हें 6,000 रुपये मात्र मिला है और राजकमल प्रकाशन से पूरे साल का 8,000 रुपये मात्र.... मतलब देश का सबसे बड़ा लेखक साल के 14,000 रुपये मात्र ही कमा रहा है. पत्र व्यवहार में इन्हें महीनों तक जवाब नहीं मिलता है. वाणी को लिखित में दिया है कि ना छापे किताब पर इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं."