
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर कम ख़र्च और निजी क्षेत्र पर ज़्यादा ध्यान देने से बढ़ी असमानता
The Wire
ऑक्सफैम की हालिया 'इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2021 इंडियाज इनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी' आने के बाद इसके सीईओ ने कहा कि भारत में सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में निजी क्षेत्र को अधिक सहयोग देने से वंचितों को नुकसान पहुंचा है. 2004 से 2017 के बीच अस्पताल में भर्ती होने के मामले में औसत ख़र्च तीन गुना बढ़ा है, जिससे ग़रीबों और ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हैं.
नई दिल्लीः एक नए अध्ययन के अनुसार भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर कम खर्च करने और प्राइवेट स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने से चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच बनाने में गंभीर असमानता बढ़ी है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑक्सफैम की मंगलवार को जारी रिपोर्ट ‘इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2021ः इंडियाज इनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी’ में कहा गया है कि जो राज्य मौजूदा असमानताओं को कम करने का प्रयास कर रहे हैं और स्वास्थ्य क्षेत्र पर अधिक खर्च कर रहे हैं, वहां कोविड-19 के पुष्ट मामले कम हुए हैं. रिपोर्ट में कोरोना महामारी से निपटने में केरल को सबसे बेहतरीन उदाहरण बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘केरल ने बहुस्तरीय स्वास्थ्य प्रणाली तैयार करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश किया, जिसे सामुदायिक स्तर पर बुनियादी सेवाओं के लिए फर्स्ट कॉन्टैक्ट एक्सेस मुहैया कराने के लिए डिजाइन किया गया था और बाद में मेडिकल सुविधाएं, अस्पताल बेड और डॉक्टरों की संख्या में भी इजाफा किया गया.’More Related News