सरसों के बंपर उत्पादन के बावजूद तेल की रिकॉर्ड कीमतें, मलेशिया एंगल कितना ज़िम्मेदार?
BBC
सरसों तेल की क़ीमतों में 55 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है. आख़िर ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे मलेशिया से होने वाला आयात है या कुछ और.
अमरोहा के रहने वाले किसान साजिद हुसैन ने मार्च में 400 किलो सरसों 4200 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से बेची यानी 42 रुपए प्रति किलो. उन्हें अंदाजा नहीं था कि एक महीने में ही सरसों के दाम लगभग दोगुने हो जाएँगे. वहीं मुजफ्फरनगर के किसान सुभाष सिंह ने अपनी फसल को घर में ही स्टॉक करके रखा, उन्होंने एक ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी सरसों का भाव 7 हज़ार रुपए प्रति क्विंटल रखा है. उन्हें उम्मीद है कि दाम अभी और बढ़ेंगे. आम तौर पर गन्ने की खेती करने वाले सुभाष सिंह ने इस बार केवल बोनस इनकम के लिए थोड़ी सरसों बोई थी. सुभाष सिंह कहते हैं, "भाव के पांच हज़ार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद तो थी लेकिन ये नहीं पता था कि दाम सात हज़ार के पास पहुंच जाएंगे." सरसों के दाम बढ़ने की वजह ये है कि इस समय सरसों के तेल के दाम ऐतिहासिक ऊंचाई पर हैं. बाज़ार में एक लीटर तेल के दाम 175 रुपए तक पहुंच गए हैं, वहीं शुद्ध कच्ची घानी सरसों का तेल तो दो सौ रुपए किलो तक बिक रहा है.More Related News