
सरकार ने लोकतंत्र सूचकांक में भारत की रैंकिंग के सवाल को स्वीकारने से किया था इनकार: रिपोर्ट
The Wire
तृणमूल कांग्रेस सांसद शांता छेत्री ने इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट के लोकतंत्र सूचकांक में भारत की स्थिति पर सवाल उठाया था. इस सूचकांक ने भारत को ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ की श्रेणी में रखा गया था. केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इसे लेकर तर्क दिया था कि ये सवाल ‘बेहद संवेदनशील प्रकृति’ का है, इसलिए इसे अस्वीकार किया जाए. इससे पहले सरकार ने राज्यसभा में पेगासस को लेकर पूछे गए एक सवाल को अस्वीकार करने के लिए कहा था.
नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 15 जुलाई को राज्यसभा सचिवालय को एक पत्र लिखकर कहा था कि एक सांसद द्वारा ‘लोकतंत्र सूचकांक में भारत की स्थिति’ पर पूछे गए एक प्रश्न को अस्वीकार कर दिया जाए, जिसका उत्तर 22 जुलाई को दिया जाना था. हिंदुस्तान टाइम्स ने रिपोर्ट कर ये जानकारी दी है. For obvious reasons, we don't check our scores with governments before release! We come up with our own independent assessment, ये खबर ऐसे मौके पर आई है जब केंद्र सरकार ने राज्यसभा में पेगासस से संबंधित पूछे गए एक सवाल को अस्वीकार करने के लिए कहा था. मोदी सरकार ने दलील दी थी कि चूंकि ये मामले अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, इसलिए इस पर जवाब नहीं दिया जा सकता है. — Simon Baptist EIU (@baptist_simon) August 16, 2021 तृणमूल कांग्रेस सांसद शांता छेत्री ने इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू- (इकोनॉमिस्ट समूह की अनुसंधान एवं विश्लेषण विभाग)) के डेमोक्रेसी इंडेक्स ( (Democracy Index)) में भारत की स्थिति पर सवाल उठाया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि सूचकांक ने भारत को ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ की श्रेणी में रखा था. कानून मंत्रालय ने इसे लेकर तर्क दिया था कि ये ‘बेहद संवेदनशील प्रकृति’ का है, इसलिए इसे अस्वीकार किया जाए.More Related News