'सरकारी स्कूलों के छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में 7.5 फीसदी आरक्षण रहेगा बरकरार', मद्रास हाईकोर्ट का फैसला
ABP News
सरकार ने मामले में पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह के आरक्षण का विस्तार करने का इरादा सरकारी स्कूल के छात्रों का उत्थान करना है जो आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से पीड़ित हैं.
मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने गुरुवार को राज्य के कानून की वैधता को बरकरार रखा, जिसमें सरकारी स्कूलों से पास होने वालों को मेडिकल कॉलेजों में सीटों के 7.5 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की पीठ ने सरकार के छात्रों के लिए तरजीही आधार पर चिकित्सा, दंत चिकित्सा, भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी में स्नातक पाठ्यक्रमों में तमिलनाडु प्रवेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला दिया. ये कानून, राज्य के सरकारी स्कूलों से पास होने वाले छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेजों में 7.5 प्रतिशत सीटों का आरक्षण प्रदान करता है.
सरकार ने मामले में पक्ष रखते हुए कहा कि इस तरह के आरक्षण का विस्तार करने का इरादा सरकारी स्कूल के छात्रों का उत्थान करना है जो आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से पीड़ित हैं. वहीं इससे पहले याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 15(1) इस तरह की स्थिति पर लागू नहीं हो सकता, क्योंकि अनुच्छेद 15(1) बहुत ही असाधारण श्रेणियों के लिए है. उन्होंने कहा कि सरकार एक वर्ग को एक वर्ग के भीतर लाने की कोशिश कर रही है. राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि विभिन्न वर्गों के छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है. उन्होंने जोर दिया कि समूह के भीतर असमानताओं को भी संबोधित किया जाना चाहिए.