सरकारी नीतियों पर विपक्ष के दावे पड़ रहे भारी, मोदी ने अपने नेताओ को संजीदा होने का दिया आदेश
ABP News
Raaj Ki Baat: केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया, लेकिन विपक्ष ने इस बढ़ोत्तरी को ऊंट के मुंह में जीरा करार दे डाला और जनता के बीच ज्यादा आक्रामक तरीके से रखने में कामयाब रहा.
Raaj Ki Baat: राजनीति में काम करना जितना महत्वपूर्ण है, उससे ज्यादा महत्वपूर्ण उसका दिखना. लोकतंत्र में लोक यानी जनता को सरकार की तरफ से किया गया काम समझाना बड़ी चुनौती होती है. सरकार का काम अगर नीतियां बनाना है तो संगठन की जिम्मेदारी उसे जनता तक पहुंचाना होता है. साथ ही जहां पर सरकार न हो, वहां सत्ता पक्ष की घेरेबंदी कर अपनी सियासी जमीन मजबूत करना भी संगठन की जिम्मेदारी है. तो राज की बात सरकार और संगठन के इसी दायित्व और इस पर अमल को लेकर कि कैसे बीजेपी के संगठन को सरकार के कामकाज जनता तक पहुंचाने और समझाने की उसकी जिम्मेदारी को जताना पड़ा. विपक्ष के प्रहारों और बाणों की ढाल मजबूत करने के लिए सरकार और संगठन एकजुट होकर मोर्चाबंदी करें, ये प्रयास अब तेजी पकड़ रहे हैं.
अगले साल यूपी समेत कई राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले सियासी पालेबंदी नए सिरे से हो रही हैं. विपक्ष अपने मुद्दों को सान चढ़ाने में जुटा है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जिस तरह के हालात पूरे देश में बने थे, उसमें केंद्र सरकार पर ही हमले ज्यादा हुए. बीजेपी संगठन के तौर पर कहीं प्रभावी नहीं दिखाई पड़ा. इसी तरह किसान आंदोलन को लेकर भी बीजेपी ने प्रयास जरूर किए, लेकिन संगठन जो अपेक्षा थी, उस पर खरा नहीं उतर सका था. सरकार की तरफ से तमाम फैसले लेकर विपक्ष की तरफ से हो रहे हमलों की धार भोथरा करने की कोशिश की गई, लेकिन संगठन के स्तर पर उसे और सान चढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही है.