सरकारी टीचर, स्कूल से अपहरण और जबरन शादी... पकड़ौआ विवाह से बिहार में मचा हड़कंप!
AajTak
कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी. नाम था अंतर्द्वंद्व. उसमें नायक की जो रील लाइफ थी. वैसा ही कुछ नए-नए सरकारी टीचर बने गौतम कुमार की जिंदगी में होगा, ये ना तो गौतम ने सोचा था और ना ही उसके घरवालों ने. मगर हुआ ऐसा ही.
करीब पौने चार लाख किलोमीटर का सफर कराने के बाद भले ही हमने विक्रम लैंडर को चांद पर लैंड करा दिया, लेकिन जमीन पर आज भी बहुत सारे विक्रम ऐसे हैं, जो अपनी मर्जी की दुल्हन तक घर में नहीं ला सकते. और इसकी वजह है बिहार का एक पुराना चलन, जिसमें ऐसे लड़कों को अगवा कर लिया जाता है, जो नौकरी पेशा हो जाते हैं. ऐसी ही एक पकड़ौआ शादी से बिहार में हड़कंप मचा हुआ है.
गौतम के साथ अजब वारदात कुछ साल पहले एक फिल्म आई थी. नाम था अंतर्द्वंद्व. उसमें नायक की जो रील लाइफ थी. वैसा ही कुछ नए-नए सरकारी टीचर बने गौतम कुमार की जिंदगी में होगा, ये ना तो गौतम ने सोचा था और ना ही उसके घरवालों ने. लेकिन अपनी बेटी के लिए एक अच्छे से रिश्ते की तलाश में एक परिवार ने गौतम के साथ जो किया, वो एक पूरे बिहार के लिए एक बड़ी खबर बन गई.
एक शादी क्या हुई, लड़की के चाचा के हाथों में हथकड़ी लग गई. बाप मुल्जिम बन गया. लड़के के घर में मातम पसरा है. बात कोर्ट कचहरी तक पहुंच गई. आम तौर पर शादी में लोग खुशियां मनाते हैं, मगर यहां मामला उल्टा हो गया. क्योंकि ये जबरदस्ती की शादी है यानी पकड़ौआ विवाह.
जबरन पकड़कर शादी कराने का चलन पकड़ौआ विवाह. यानी पकड़ कर विवाह करा देना. फिल्म अंतर्द्वंद्व ने बिहार के इस खौलते हुए सच को स्क्रीन पर बखूबी दिखाया था. बिहार में जब अपहरण उद्योग अपने चरम पर था. गुंडे बदमाश फलफूल रहे थे. उस दौर में बिहार में ऐसी शादियां भी खूब फली-फूलीं. लेकिन अब गुजरते वक़्त के साथ ऐसे मामले थोड़े कम हो गए. मगर 29 नवंबर को वैशाली के पातेपुर गांव में जो कुछ हुआ, उसने लोगों के जेहन में 90 के दशक के उस दौर की यादें ताजा करा दीं.
हाल ही में सरकारी शिक्षक बना था गौतम असल में बिहार सरकार ने हाल ही में बीपीएससी के तहत पूरे राज्य में करीब 1 लाख 20 हज़ार नौजवानों को सरकारी शिक्षक के तौर पर बहाल किया था. सरकार ने इन नौकरियों को अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन इसी योजना के तहत नौकरी पाने वाले बिहार के हाजीपुर के नौजवान गौतम कुमार को शिक्षा विभाग की ओर से अप्वाइंटमेंट लेटर क्या मिला, ये नौकरी ही मानों उसके जी का जांजाल बन गई.
29 नवंबर 2023, बुधवार, दोपहर 3 बजे नई-नई नौकरी लगने के बाद गौतम बुधवार 29 नवंबर को वैशाली के रेपुरा मध्य विद्यालय, पातेपुर में बच्चों को पढ़ाने पहुंचा था. घड़ी में दोपहर के करीब 3 बज रहे थे. लेकिन तभी अचानक दो लोग स्कूल में उसके पास आए और प्रिंसिपल से मिलने जाने का बहाना कर उसे अपने साथ ले जाने लगे. इससे पहले कि गौतम कुछ समझ पाता, उन अजनबियों ने उसे बंदूक के दम पर स्कूल से बाहर खींच लिया और एक बोलेरो गाड़ी में बिठा कर अपने साथ ले गए.
महाराष्ट्र चुनावों के नतीजों के बाद यह सवाल बड़ा है कि अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? देवेंद्र फडणवीस की भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है. सवाल यह है कि क्या वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वापस आएंगे या कोई अन्य चेहरे को मौका मिलेगा? लेकिन इन सब सवालों के बीच एक सवाल ये भी कि क्या अब M फैक्टर मतलब मुस्लिम नहीं महिला? देखें
सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना-राकांपा गठबंधन ने महाराष्ट्र चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि नतीजों से यह मुद्दा सुलझ गया है कि असली शिवसेना कौन सी है. इस चुनाव में बड़ी हार के बाद अब 64 वर्षीय उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे के सामने अपनी पार्टी और कार्यकर्ताओं एकजुट रखने की चुनौती होगी.
मालेगांव सेंट्रल सीट से एआईएमआईएम के मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल ने जीत तो हासिल की लेकिन वो भी बेहद कम मार्जिन से. मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल को 109653 वोट मिले. वहीं, उनके जीत का मार्जिन केवल 162 वोट का रहा. उन्होंने महाराष्ट्र की इंडियन सेक्युलर लार्जेस्ट असेंबली पार्टी ऑफ़ महाराष्ट्र से उम्मीदवार आसिफ शेख रशीद को हराया. उन्हें 109491 वोट मिले.
'साहित्य आजतक 2024' के मंच पर शनिवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू विशेष रूप से आमंत्रित थीं. मौका था 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' के 2024 के समारोह का. इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने अलग-अलग 8 कैटेगरी में सम्मान दिए और लेखक गुलज़ार को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड प्रदान किया. देखें इस दौरान महामहीम का भाषण.
महाराष्ट्र में ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम मोदी नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है. कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया. हमारी सरकार ने मराठी को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा दिया. मातृभाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है.