सम्राट मिहिर भोज को लेकर किताबों में क्या लिखा है? जिनको लेकर अब हरियाणा में भिड़ गए राजपूत और गुर्जर
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सम्राट मिहिर भोज को लेकर यूपी, एमपी के बाद अब हरियाणा में विवाद शुरू हो गया है. यहां भी उनकी प्रतिमा के अनावरण के दौरान गुर्जर और क्षत्रिय समाज के लोग आमने सामने आ गए. बीजेपी का कहना है कि मिहिर भोज गुर्जरों के पूर्वज थे, जबकि राजपूतों का कहना है कि उन्हें गुर्जरों का पूर्वज कहना इतिहास के साथ छोड़छाड़ करना है.
यूपी के बाद अब हरियाणा में उत्तरी भारत के 9वीं शताब्दी के शासक सम्राट मिहिर भोज को लेकर राजपूत और गुर्जर समाज आमने-सामने आ गए हैं. दोनों ही समुदाय के लोग दावा कर रहे हैं कि मिहिर भोज उनके समुदाय के थे. दरअसल, हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुज्जर कैथल में मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने वाले थे लेकिन राजपूत समुदाय ने इसका विरोध कर दिया. इसके बाद बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर ने मिहिर भोज को गुर्जर शासक के रूप में चित्रित करने वाली प्रतिमा का अनावरण कर दिया.
उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री नहीं आ सके, क्योंकि उन्हें एक बैठक में भाग लेना था. उन्होंने दावा किया कि मिहिर भोज गुर्जरों के पूर्वज थे. वहीं, राजपूत समुदाय ने कहा कि मिहिर भोज को गुर्जरों का पूर्वज कहना 'इतिहास को विकृत' करना है. इतिहासकारों का दावा है कि 9वीं शताब्दी के शासक प्रतिहार राजपूत वंश के थे और गुर्जर उपसर्ग उस क्षेत्र को दर्शाता है, जहां उन्होंने शासन किया था, जो वर्तमान दक्षिण राजस्थान और उत्तरी गुजरात है.
मिहिर भोज 9वीं शताब्दी में गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक थे. उन्होंने अपनी राजधानी कन्नौज बनाई थी. उनका साम्राज्य मुल्तान से बंगाल तक एवं कश्मीर से उत्तर महाराष्ट्र तक विस्तृत था. मिहिरभोज की उपलब्धियों का वर्णन उनके ग्वालियर प्रशस्ति अभिलेख में किया गया है.
सतीश चंद्रा की ओल्ड एनसीईआरटी की 11वीं की मध्यकालीन इतिहास की किताब में प्रतिहार साम्राज्य के सम्राट मिहिर भोज के बारे में जानकारी दी गई है. किता के पेज नंबर 13 में प्रतिहारों को गुर्जर-प्रतिहार भी कहा जाता है. किताब में बताया गया कि प्रतिहार साम्राज्य के वास्तविक संस्थापक और इस राजवंश के महानतम शासक भोज थे. हालांकि किताब में यह बतया गया है कि मिहिर भोज के आरंभिक जीवन के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है. यह भी मालूम नहीं है कि वह कब सिंहासन पर बैठे पर यह निश्चित है कि उन्होंने प्रतिहार साम्राज्य का पुनर्निर्माण किया.
- छपरा के जय प्रकाश विश्वविद्यालय में इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रितेश्वर नाथ तिवारी के मुताबिक ग्वालियर अभिलेख को गुर्जर-प्रतिहार वंश के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. उनके मुताबिक चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने विवरण में गुर्जर देश का उल्लेख करते हुए गुर्जर नरेश को क्षत्रिय बताया है.
- प्रतिहार वंश के जितने अभिलेख हैं, उनमें वे खुद को श्रीराम के भ्राता लक्ष्मण के वंशज बताते हैं. जैसे लक्ष्मण अपने बड़े भाई के लिए द्वारपाल (प्रतिहार) की भूमिका में थे. यही से प्रेरणा लेकर यह वंश अपने साथ प्रतिहार लगाता है. प्रतिहार वंश के वैवाहिक संबंध राजपूत परिवारों में थे. मिहिर भोज की मां अप्पा देवी राजपूत परिवार से आती थीं. उनकी पत्नी चंद्रभट्टारिका देवी भी राजपूत खानदान से थीं.
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