
समय से पहले डिलीवरी और Premature बच्चे के जन्म का क्या है कारण, यहां जानें इसके रिस्क फैक्टर्स
Zee News
प्रेग्नेंसी के आखिरी सप्ताह तक गर्भ में पल रहे शिशु का विकास जारी रहता है. लेकिन कई बार कुछ कारणों से शिशु 9 महीने का समय पूरा करने से पहले ही पैदा हो जाता है. समय से पहले ही बच्चे का जन्म होने से जुड़े जोखिम कारक क्या है, यहां जानें.
नई दिल्ली: जब किसी बच्चे का जन्म प्रेग्नेंसी का 37वां हफ्ता (37th week Pregnancy) पूरा करने से पहले ही हो जाता है तो इसे प्रीटर्म बर्थ (Preterm Birth) और बच्चे को प्रीमैच्योर बेबी () कहा जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साल 2018 के आंकड़ो की मानें तो हर साल दुनियाभर में करीब 1 करोड़ 50 लाख से ज्यादा बच्चे प्रीमैच्योर पैदा होते हैं यानी हर 10 में से 1 बच्चा प्रेग्नेंसी का समय पूरा होने से पहले ही पैदा हो जाता है. तो वहीं प्रीमैच्योर पैदा होने की वजह से उत्पन्न हुई जटिलताओं के कारण हर साल करीब 10 लाख नवजात शिशुओं की मौत भी हो जाती है. भारत में हर साल 100 में से 13 शिशु प्रीमैच्योर जन्म लेते हैं. तो आखिर वे कौन सी वजहें हैं जिसके कारण प्रेग्नेंसी के 9 महीने पूरे होने से पहले ही हो जाता है बच्चे का जन्म. WHO ने प्रीमैच्योर बच्चों को 3 कैटीगरी में बांटा है: 1. प्रेग्नेंसी के 32 से 37 हफ्ते में जन्म लेने वाला शिशु- लेट प्रीटर्म 2. प्रेग्नेंसी के 28 से 32 हफ्ते में जन्म लेने वाला शिशु- अधिक प्रीटर्म 3. प्रेग्नेंसी के 28 हफ्ते से पहले ही जन्म लेने वाला शिशु- अत्यधिक प्रीटर्म लेट प्रीटर्म () में जन्म लेने वाले बच्चे में आमतौर पर कोई गंभीर समस्या नहीं होती और वे कुछ दिनों में सामान्य हो जाते हैं. अधिक प्रीटर्म यानी 28 से 32 हफ्ते के बीच जन्म लेने वाले शिशु को सांस लेने में बहुत अधिक कठिनाई होती है और वे बहुत अधिक कमजोर भी होते हैं जिस कारण उन्हें NICU में रखा जाता है. तो वहीं, प्रेग्नेंसी के 28वें हफ्ते से पहले ही जन्म लेने वाले शिशु के जीवित रहने की संभावना कम होती है. अगर वे जीवित रह भी जाएं तो वे बच्चे शारीरिक रूप से दुर्बल होते हैं और उनमें अनेक शारीरिक जटिलताएं (Physical Problem) भी होती हैं.More Related News