
सत्यजीत रे की कहानी, जिनकी समझ और काम बेमिसाल रहे
BBC
सत्यजीत रे उन फ़िल्मकारों में से थे, जिन्हें न सिर्फ़ भारत बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्धि मिली. उनकी जन्मशताब्दी के मौक़े पर रेहान फ़ज़ल याद कर रहे हैं, मानिक दा के जीवन से जुड़े कुछ ख़ास प्रसंगों को.
बात अक्टूबर 1976 की है. उस ज़माने में अपना करियर शुरू कर रहे जावेद सिद्दिक़ी के फ़ोन की घंटी बजी. दूसरी तरफ़ मशहूर पटकथा लेखक शमा ज़ैदी थीं. उन्होंने जावेद से कहा कि सत्यजीत रे आपसे मिलना चाहते हैं. उस ज़माने तक सत्यजीत रे विश्व सिनेमा की ऊँचाइयों को छू चुके थे. जब जावेद उनसे मिलने गए तो उन्होंने ये अंदाज़ा नहीं था कि रे असल ज़िदगी में भी उतने ही लंबे थे, जितना कि विश्व फ़िल्म जगत में उनका कद था. पूरे छह फ़ीट चार इंच. सत्यजीत रे को उनके चाहने वाले 'मानिकदा' के नाम से भी पुकारते थे. रे ने जावेद को कुर्सी पर बैठा कर कहा, "मैंने सुना है आप अच्छी कहानियाँ लिखते हैं." जावेद ने विनम्रतापूर्वक कहा, "मैं कहानियों से ज़्यादा कॉलम लिखता रहा हूँ. मैं नहीं जानता कि मैं अच्छी कहानियाँ लिख भी पाता हूँ या नहीं."More Related News