सऊदी अरब ने तालिबान, पाकिस्तान और कश्मीर पर भारत में क्या कहा? -प्रेस रिव्यू
BBC
मोदी सरकार में पहले की तरह नहीं मिल रहा है अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा, जीएसटी मुआवजे की मियाद बढ़ाने पर केंद्र और राज्यों का विवाद, साथ में आज के अख़बारों की अन्य अहम सुर्खियां.
नई दिल्ली दौरे पर आए सऊदी अरब के विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फरहान अल सऊद ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत के रास्ते मुद्दों को स्थाई तौर पर सुलझाने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए.
'द हिंदू' अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों की बातचीत में अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य पर भी चर्चा हुई. उन्होंने भारत में निवेश की योजनाओं पर भी बात की. हालाँकि साल 2019 में भारत में 100 अरब डॉलर निवेश करने का सऊदी अरब का वादा अभी तक पूरा नहीं हो पाया है.
विदेश मंत्री अल-सऊद ने भारत और पाकिस्तान के बीच सऊदी अरब की तरफ़ से मध्यस्थता की भी पेशकश की. अफ़ग़ानिस्तान के मु्द्दे पर जब उनसे ये पूछा गया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर से आपकी अफ़ग़ानिस्तान पर बात हुई. लेकिन जैसा कि आप जानते हैं न तो सऊदी अरब और न ही भारत की काबुल में कोई कूटनीतिक मौजूदगी है और न ही तालिबान हुकूमत के साथ कोई औपचारिक बातचीत हो रही है. ऐसे दोनों देश किस तरह से इस मुद्दे पर सहयोग करेंगे?
उन्होंने इसके जवाब में कहा, "अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चिंता स्थिरता को लेकर है. हमारी अन्य प्रमुख चिंता सुरक्षा को लेकर है और हम नहीं चाहते कि अफ़ग़ानिस्तान की ज़मीन से दूसरे देशों में आतंकवाद फैले. और इस सिलसिले में अफ़ग़ानिस्तान के मौजूदा नेतृत्व तालिबान की ये जिम्मेदारी है कि वो अच्छे फ़ैसले, अच्छी सरकार चलाए और सबको साथ लेकर चले और स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़े."
भारत-सऊदी अरब संबंधों और 100 अरब डॉलर के निवेश के वादे पर पर उन्होंने कहा, "भारत के साथ हमारे बहुआयामी रिश्ते रहे हैं. भारत हमारा प्रमुख साझीदार देश है. कोरोना महामारी की वजह से कुछ योजनाओं के अमल में देरी हुई है. लेकिन इसके बावजूद भारत सऊदी अरब का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. जब ये घोषणा की गई थी, तब भी भारत में हमारा 50 करोड़ डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश था जो अब बढ़कर 3 अरब डॉलर हो गया है."