संसद ही नहीं एमसीडी के सदन में हंगामे के आसार, जुलाई महीने की बैठक कल
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दिल्ली सरकार ने एमसीडी से सड़कों की मशीनों से धुलाई के लिए निगम से मशीन खरीदने की अनुमति मांगी थी. निगम की ओर से कमिश्नर ने ये प्रस्ताव सदन के पटल पर इस टिप्पणी के साथ रखा कि 1992 के 74वें संशोधन के तहत नगरपालिका को ही सफाई की प्राथमिक जिम्मेदारी संविधान में दी गई है.
संसद में एक तरफ दिल्ली का अध्यादेश लाया जा सकता है तो दूसरी तरफ आप शासित दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक में हंगामे के पूरे आसार हैं. 31 जुलाई को एमसीडी की बैठक हंगामे की मुख्य वजह बीजेपी का स्टैंडिंग कमेटी बनाने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया जाना है. इसकी वजह बीते 6 महीनों से दिल्ली नगर निगम में सबसे पावरफुल कमिटी यानि स्टैंडिंग कमिटी का न बनना है. यही वजह है कि दिल्ली के विकास के काम नहीं हो पा रहे हैं.
बता दें कि 5 करोड़ से ऊपर के सभी प्रोजेक्ट स्डैंडिंग कमिटी से पास होने के बाद सदन के पटल पर रखे जाते हैं. स्थायी समिति का चुनाव इसी साल 24 फरवरी को हुआ था, जिसमें 1 वोट को अवैध करार देकर मेयर ने 27 फरवरी को चुनाव की घोषणा की थी. इसके बाद भाजपा पार्षद कमलजीत सहरावत और शिखा राय ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट ने चुनाव पर स्टे लगा दिया. 23 मई को हाईकोर्ट ने रीपोल को खारिज करके मेयर को चुनाव नतीजे घोषित करने को कहा था.
पिछली बैठक में सड़कों की धुलाई का प्रस्ताव एमसीडी सदन से हुआ था रद्द 8 जून को दिल्ली नगर निगम की मासिक बैठक हांगामेदार रही थी, तो वहीं दिल्ली नगर निगम की सबसे पावरफुल कमिटी बनने का बड़ा पड़ाव निगम ने करीब 103 दिन बाद 8 जून को पार कर लिया था. दरअसल दिल्ली सरकार ने एमसीडी से सड़कों की मशीनों से धुलाई के लिए निगम से मशीन खरीदने की अनुमति मांगी थी. निगम की ओर से कमिश्नर ने ये प्रस्ताव सदन के पटल पर इस टिप्पणी के साथ रखा कि 1992 के 74वें संशोधन के तहत नगरपालिका को ही सफाई की प्राथमिक जिम्मेदारी संविधान में दी गई है. ऐसे में बिना उपराज्यपाल की अनुमति के यह व्यवस्था लागू नहीं की जा सकती है. बीजेपी के पार्षदों ने विरोध किया कि पीडब्लूडी के इंगेजमेंट के लिए निगम से पूछा जा रहा है. हालांकि आप और बीजेपी ने मिलकर इसे रेफरबैक कर दिया.
निगम में स्थायी समिति चेयरमैन होने का ये है गणित स्थायी समिति में कुल 18 सदस्यों होते हैं. छह सदस्य सदन से चुने लिये गए, वहीं जोन से अब 12 सदस्य वार्ड कमेटी से चुने जाने हैं. वार्ड कमेटी के सदस्यों के लिए चुनाव की तारीख का ऐलान कमिश्नर करते हैं. इसके अलावा तर्दथ और विशेष समितियों का चुनाव होता है.
अगर एल्डरमैन वोट करते हैं तो बीजेपी चेयरमैन का पेश कर सकती है दावा सदन में 3 बीजेपी और आप के जीतने के बाद 12 वार्ड कमेटियों में भाजपा को 4 में बहुमत हैं. एल्डरमैन वोट करते हैं तो सेंट्रल सिविल लाइंस और नरेला जोन की वार्ड समिति बीजेपी के पास आ सकती है. फिलहाल इन समितियों में भाजपा और आप के पास बराबर सदस्य हैं. एल्डरमैन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी. आप और बीजेपी दोनों को संभावना थी कि कोर्ट की जून की छुट्टियों के बाद जुलाई में सुप्रीम कोर्ट फैसला आ जाएगा, लेकिन जुलाई बीत रही इसके बाद भी फैसला न आने से स्टैंडिंग कमिटी के जोन से जो 12 पार्षद चुने जाने हैं वो नहीं चुने जा पा रहे हैं.
पावरफुल स्थायी समिति के ये सदस्य जीते दिल्ली नगर निगम की सबसे पावरफुल कमिटी बनने का बड़ा पड़ाव निगम ने करीब 103 दिन बाद 8 जून को तब पार कर लिया जब मेयर ने बैठक में स्थायी समिति के जीते हुए सदस्यों की घोषणा कर दी. आप और बीजेपी के 3-3 पार्षद चुन लिए गए तो आप की एक उम्मीदवार सारिका चौधरी चुनाव हार गईं. दिल्ली नगर निगम के लिए स्टैंडिंग कमेटी सदस्य पद के आप के उम्मीदवार आमिल मलिक, मोहिनी जीनवाल और रमिंदर कौर जीते. जबकि सारिका चौधरी चुनाव हार गई वहीं बीजेपी से कमलजीत सहरावत, गजेंद्र दराल और पंकज लूथरा चुन लिये गये.
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