संसद में स्थापित हुआ तो DMK ने किया था विरोध, अब खुद 'सेंगोल' थामे नजर आए उदयनिधि
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संसद में जब सेंगोल को स्थापित किया गया था तो सपा, डीएमके समेत कई राजनीतिक दलों ने इसे राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसका विरोध किया था. डीएमके ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था कि लोकतंत्र में संविधान की बात होनी चाहिए.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि को राज्य के डिप्टी सीएम पद की जिम्मेदारी मिली है. 2026 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव से पहले इसे डीएमके के बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है. उदयनिधि को मिली इस जिम्मेदारी के बाद देशभर के नेता उन्हें बधाई दे रहे हैं. लेकिन इसी बीच एक तस्वीर ने सभी का ध्यान खींचा जब उदयनिधि हाथ में सेंगोल थामे नजर आए. ये तस्वीर इसलिए खास है क्योंकि उदयनिधि और डीएमके सेंगोल को राजशाही का प्रतीक मानती हैं और इसका विरोध करती रही हैं.
हाथ में सेंगोल थामे नजर आए उदयनिधि
डीएमके के यूथ विंग के उप सचिव Thoothukudi S.Joel ने उदयनिधि को ये सेंगोल दिया है. सेंगोल पर चर्चा इसलिए भी लाजमी है क्योंकि जब संसद में इसे स्थापित किया गया था तो खूब सियासत हुई थी. कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया था. विरोध करने वालों में तमिलनाडु की डीएमके भी थी. हालांकि, सेंगोल का इतिहास तमिलनाडु से ही जुड़ा हुआ है.
क्यों होता है सेंगोल का विरोध
संसद में जब सेंगोल को स्थापित किया गया था तो सपा, डीएमके समेत कई राजनीतिक दलों ने इसे राजशाही का प्रतीक बताते हुए इसका विरोध किया था. डीएमके ने भी इसका विरोध करते हुए कहा था कि लोकतंत्र में संविधान की बात होनी चाहिए. लेकिन सेंगोल राजशाही का प्रतीक है. कई दलों ने सेंगोल को संसद से हटाने की भी मांग की थी.
क्या होता है सेंगोल सेंगोल संस्कृत शब्द "संकु" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "शंख". शंख हिंदू धर्म में एक पवित्र वस्तु थी, और इसे अक्सर संप्रभुता के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था. राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक था. यह सोने या चांदी से बना था, और इसे अक्सर कीमती पत्थरों से सजाया जाता था. सेंगोल राजदंड औपचारिक अवसरों पर सम्राट द्वारा ले जाया जाता था, और इसका उपयोग उनके अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था. सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक भी माना जाता है.
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