संसद में रमेश बिधूड़ी की गालियों पर हंसते दिखे थे हर्षवर्धन, अब दी सफाई
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भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने गुरुवार को संसद में चल रही एक चर्चा के दौरान बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के विरुद्ध आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर दिया. इस दौरान संसद में उनके बगल में बैठे बीजेपी के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन को हंसते दिखाई दिए थे, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
संसद में भारतीय जनता पार्टी के सांसद रमेश बिधूड़ी का बसपा सांसद के खिलाफ विवादित बयान तूल पकड़ रहा है. इस दौरान संसद में उनके बगल में बैठे बीजेपी के सांसद हर्षवर्धन को हंसते दिखाई दिए थे, जिसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है.
इस मामले में घिरने पर अब हर्षवर्धन ने बयान जारी कर सफाई दी है. उन्होंने बयान जारी कर कहा कि मैंने ट्विटर पर अपना नाम ट्रेंड होते देखा है, जहां लोगों ने मुझे इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में बेवजह घसीटा है, जहां दो सांसद सदन में एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे. हमारे वरिष्ठ और सम्मानित नेता राजनाथ सिंह पहले ही दोनों पक्षों द्वारा इस तरह की अनुचित भाषा के उपयोग की निंदा कर चुके हैं.
उन्होंने कहा कि मैं अपने मुस्लिम दोस्तों से पूछता हूं जो आज सोशल मीडिया पर मेरे खिलाफ लिख रहे हैं, क्या वे वास्तव में मानते हैं कि मैं कभी भी ऐसी अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल में भागीदार बन सकता हूं जो किसी एक समुदाय की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाती हो? यह नकारात्मकता से भरी एक द्वेषपूर्ण, बेबुनियादी, पूर्णतः झूठ और मनगढ़ंत कहानी है और सोशल मीडिया पर कुछ निहित राजनीतिक तत्वों द्वारा मेरी छवि को खराब करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.
हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले तीस वर्षों के सार्वजनिक जीवन में मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लाखों मुस्लिम भाइयों और बहनों के साथ, अथवा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के सहयोगियों के साथ मिलकर काम किया है. मैं चांदनी चौक की ऐतिहासिक गलियों में फाटक तेलियान, तुर्कमान गेट में पैदा हुआ, यहीं पला-बढ़ा. अपने मुस्लिम दोस्तों के साथ खेलते हुए बड़ा हुआ हूं. मैं दृढ़ विश्वास के साथ कह सकता हूं कि सभी मुस्लिम भाई-बहन जो कभी भी मेरे संपर्क में रहे हैं, वे मेरी भावनाओं, व्यवहार और मेरे आचरण की पुष्टि करने में तनिक भी नहीं हिचकेंगे.
उन्होंने कहा कि मैं चांदनी चौक के प्रतिष्ठित निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में जीतकर बहुत खुश हूं और यदि सभी समुदायों के लोगों ने मेरा समर्थन नहीं किया होता तो ऐसा कभी संभव नहीं हो पाता. इस घटना से मैं अत्यधिक आहत हुआ हूं कि निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए कुछ लोगों ने बेवजह मेरा नाम इस प्रकरण में घसीटा है. हालांकि मैं वहां एक-दूसरे पर फेंके जा रहे शब्दों की नोक-झोंक का प्रत्यक्षदर्शी जरूर था (जो वास्तव में पूरा सदन ही था), सच बात तो यह है कि उस शोर-शराबे में मैं स्पष्ट रूप से कुछ भी समझ नहीं पा रहा था. मैं जीवन में हमेशा अपने सिद्धांतों पर कायम रहा हूं. अपने देश और देशवासियों के हित को हर चीज से ऊपर रखते हुए, उसके लिए अपना श्रेष्ठतम देने के लिए कभी पीछे नहीं रहा हूं और यह मेरा संकल्प है कि अपने जीवन के अंतिम सांस तक इस भावना को अक्षुण्ण रखूंगा.
क्या हुआ था?
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