संसद कांड का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, साजिश के और कितने किरदार... विपक्ष उठा रहा ये तीन सवाल
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संसद की सुरक्षा में सेंध मामले में शुक्रवार को कई जानकारियां सामने आईं हैं. पांचवें आरोपी ललित झा से पूछताछ में पता चला कि उसने बाकी आरोपियों का मोबाइल फोन तोड़ कर सबूत मिटाने की कोशिश की तो विजिटर गैलरी में स्प्रे कैन लेकर कूदने वाले लखनऊ के सागर शर्मा की दो डायरी पुलिस को मिली है. इनमें से एक डायरी में पुलिस को लिखा मिला है कि 'घर से विदा लेने का का समय आ चुका है.
संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले पांच आरोपी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम की गिरफ्त में हैं. संसद की सुरक्षा खतरे में आई तो शुक्रवार को भी सदन के भीतर हंगामा जारी रहा. गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा करने वाले 14 सांसद निलंबित हुए थे. शुक्रवार को सवाल उठा कि विपक्ष के सांसदों पर कार्रवाई हो जाती है, लेकिन संसद में हड़कंप मचा देने वाले, सुरक्षा भेद देने वालों को विजिटर पास की सिफारिश करने वाले बीजेपी सांसद पर एक्शन क्यों नहीं लिया जाता है ?
संसद की सुरक्षा में सेंध के बाद तीन सवालों पर सियासत तेज हुई है ?
सवाल 1. विपक्ष पूछता है कि अगर नीलम नहीं नगमा होती और अमोल की जगह अब्दुल होता तो क्या देश में संसद सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता जताई जाती ?
सवाल 2. अगर संसद की सुरक्षा पर चिंता जताकर सवाल उठाते विपक्षी सांसद हंगामा करते हैं तो उन्हें सत्र से निलंबित कर दिया जाता है लेकिन सेंध लगाने वालों को पास जारी करने की सिफारिश करने वाली बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जाता है ?
सवाल 3. सुरक्षा में घुसपैठ करके घुसने वालों को पास अगर बीजेपी सांसद की जगह विपक्ष के किसी सांसद की सिफारिश पर पास मिलता तो भी क्या एक्शन नहीं लिया जाता ?
बीजेपी सांसद ने सफाई में कही ये बात बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा सफाई में कह चुके हैं कि आरोपी मनोरंजन के पिता उनके जानने वाले थे, जो बेटे को नई संसद में विजिटर पास दिलाने के लिए कई दिनों से जिद कर रहे थे. ऐसे में एक और सवाल आता है कि मनोरंजन को पास दिलाया तो ठीक लेकिन सागर शर्मा को भी विजिटर पास दिलाने की सिफारिश क्यों मानी गई. संसद की सुरक्षा में चूक पर अब राजनीति भी खूब हो रही है. असुद्दीन ओवैसी और नीतीश की पार्टी के प्रमुख ललन सिंह एक अलग ही सवाल उठा रहे हैं. वह धर्म को बीच में लाकर पूछते हैं कि अगर आरोपी अल्पसंख्यक होते तो हंगामा होता.
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