संविधान बचाने का नैरेटिव, दलित हित का एजेंडा... स्पीकर चुनाव हारकर भी INDIA ब्लॉक ने क्या हासिल किया?
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लोकसभा स्पीकर का चुनाव गंवाकर भी INDIA ब्लॉक ने अपने कई एजेंडे सेट किए हैं. सबसे पहले तो इंडिया ब्लॉक ने दलित हित और संविधान बचाने के नैरेटिव को एक बार फिर से सेट कर दिया है. इधर इस चुनाव के बहाने राहुल गांधी विपक्षी एकता की धुरी बनकर उभरे हैं. वहीं बीजेपी ने ये संदेश दिया है कि शासन चलाने में विपक्ष उससे रियायत की उम्मीद न करे. इसके अलावा नए स्पीकर के चयन से बीजेपी ने भविष्य की मुश्किल परिस्थितियों की भी तैयारी कर ली है.
18वीं लोकसभा के लिए ओम बिरला एक बार फिर से स्पीकर चुन लिए गए हैं. ओम बिरला को ध्वनिमत से स्पीकर चुना गया है. लोकसभा स्पीकर की इस रेस में विपक्ष की ओर से कांग्रेस सांसद के. सुरेश उम्मीदवार थे. ध्वनिमत के बाद प्रोटेम स्पीकर ने जब स्पीकर पद के लिए ओम बिरला के नाम की घोषणा की तो विपक्ष ने मत विभाजन की मांग नहीं की. इस तरह से संख्याबल के अनुरुप ही INDIA ब्लॉक स्पीकर पद की रेस हार गया. लेकिन इस हार के बावजूद विपक्ष ने ये संदेश दे दिया है कि 2024-29 की पारी 2014-24 जैसी नहीं होने वाली है.
लोकसभा स्पीकर का चुनाव हारने के बावजूद INDIA ब्लॉक देश में ये नैरेटिव स्थापित करने में सफल रहा कि आने वाले दिनों में सरकार एकतरफा फैसले नहीं ले सकेगी और उसे कदम-कदम पर विपक्ष की संविधान सम्मत चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. आइए समझते हैं कि लोकसभा स्पीकर चुनाव हारकर भी INDIA ब्लॉक ने क्या क्या हासिल किया.
फिर से सेट किया दलित हित का एजेंडा
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने दलितों के हित के मुद्दे को खूब भुनाया था. स्पीकर चुनाव के बहाने कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक ने एक बार फिर से इस नैरेटिव को हवा दी और ये संदेश देने की कोशिश की कि INDIA ब्लॉक दलितों की हितैषी है. बता दें कि INDA ब्लॉक ने लोकसभा स्पीकर के पद के लिए कांग्रेस के अनुभवी सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को उतारा था. के. सुरेश दलित समुदाय से आते हैं. वे ‘चेरामार’ समुदाय से हैं, जो अनुसूचित जाति में आती है.
बता दें कि कांग्रेस चाहती थी कि के.सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाए, लेकिन सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई और भर्तृहरि माहताब को प्रोटेम स्पीकर बना दिया. सत्ता पक्ष के इस फैसले के बाद इंडिया ब्लॉक ने स्पीकर पद के लिए सरकार को सपोर्ट देने से इनकार कर दिया. और स्पीकर पद के लिए के.सुरेश को आगे किया और ये मैसेज देने की कोशिश की कि जिस दलित उम्मीदवार को एनडीए ने प्रोटेम स्पीकर नहीं बनाया उसे इंडिया ने स्पीकर पद के लिए खड़ा किया. अपने कैंडिडेट की हार जानने के बावजूद उन्हें स्पीकर पद के लिए उतारकर कांग्रेस ने साफ संदेश दिया कि वो दलित हित की सबसे बड़ी पैरोकार है.
संविधान की रक्षा करने का नरैटिव
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