संपत्ति पर बुज़ुर्गों का असली हक़, बच्चे इसके सिर्फ़ ‘लाइसेंसधारक’ होते हैंः कलकत्ता हाईकोर्ट
The Wire
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ नागरिक के अपने घर में रहने के अधिकार को विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के चश्मे से देखा जाना चाहिए. अब यह अच्छी तरह से तय हो चुका है कि वरिष्ठ नागरिक के घर में रहने वाले बच्चे और उनके जीवनसाथी ज़्यादा से ज़्यादा ‘लाइसेंसधारक’ होते हैं. यदि वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों और परिवार के साथ खुश नहीं हैं, तो इस लाइसेंस को समाप्त भी किया जा सकता है.
नई दिल्ली: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को पश्चिम बंगाल में नादिया जिले के ताहेरपुर के एक वरिष्ठ नागरिक के अपने घर में रहने के अधिकार को बरकरार रखा और कहा कि उनके बेटे और बेटी को बेदखल किया जा सकता है क्योंकि वे ज्यादा से ज्यादा संपत्ति में रहने वाले ‘लाइसेंसधारी’ ही हैं. अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ नागरिक के अपने घर में रहने के अधिकार को विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के चश्मे से देखा जाना चाहिए. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जस्टिस राजाशेखर मंथा ने 23 जुलाई को याचिकाकर्ता रामपद बसाक और राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों को सुनने के बाद आदेश पारित किया था. जज ने कहा, ‘एक राष्ट्र जो अपने वृद्ध, बुजुर्ग और निर्बल नागरिकों की देखभाल नहीं कर सकता है, उसे पूर्ण रूप से सभ्य नहीं माना जा सकता है.’More Related News