
श्रीलंका में वित्तीय संकट के भारत के लिए क्या निहितार्थ हैं
The Wire
श्रीलंका में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट के भारत के लिए कई व्यावसायिक प्रभाव हैं. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत इस अवसर का उपयोग उसके साथ अपने राजनयिक संबंधों को संभालने के लिए कर सकता है, जो श्रीलंका की चीन के साथ नज़दीकी के चलते प्रभावित हुए हैं.
हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा कोलंबो में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास ‘टेंपल ट्रीज’ के मुख्य द्वार को तोड़ने के बाद बड़ी संख्या में सशस्त्र सैनिक मंगलवार, 10 मई को महिंदा राजपक्षे को किसी अज्ञात स्थान पर ले गए. मुख्य द्वार को तोड़ने के बाद प्रदर्शनकारियों ने दो मंजिला इमारत पर धावा बोलने का प्रयास किया, जहां प्रधानमंत्री राजपक्षे अपने परिवार के साथ छिपे हुए थे.
एक शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘सुबह से पहले के ऑपरेशन के बाद, पूर्व पीएम और उनके परिवार को सेना द्वारा सुरक्षित निकाल लिया गया था, कम से कम 10 पेट्रोल बम परिसर में फेंके गए थे.’
आपातकाल की स्थिति में पिछले हफ्ते से हिंसक विरोध प्रदर्शनों में पांच लोगों की मौत हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. अराजकता के दृश्य देखे गए और दर्जनों शीर्ष राजपक्षे वफादारों के घरों को आग लगा दी गई. कर्फ्यू और अनिश्चितता के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार 9 मई को अपना इस्तीफा दे दिया.
राजपक्षे दशकों से दक्षिण एशियाई देश का सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवार रहा है, लेकिन मौजूदा आर्थिक चुनौतियां उनके लिए एक राजनीतिक दलदल में बदल गई हैं. ‘द टर्मिनेटर’ के रूप में मशहूर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे कभी श्रीलंका की राजनीति में सबसे दुर्जेय व्यक्ति थे. आज उनके पद छोड़ने का आह्वान किया जा रहा है.