श्रीलंका: बिजली बोर्ड प्रमुख का दावा- मोदी ने राजपक्षे को पावर प्रोजेक्ट अडानी को देने को कहा था
The Wire
एक संसदीय समिति ने एक सुनवाई के दौरान सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रमुख से श्रीलंका के उत्तरी तट पर 500 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र बनाने के लिए अडानी समूह को चुनने के बारे में सवाल किया था, जहां उन्होंने यह बयान दिया. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रोजेक्ट को किसी व्यक्ति या समूह विशेष को देने की बात कहने से इनकार किया है.
नई दिल्ली: श्रीलंका के बिजली प्राधिकरण के प्रमुख ने एक संसदीय पैनल के सामने गवाही दी है कि उन्हें श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने उन्हें बताया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 मेगावॉट की पवन ऊर्जा (विंड पावर) परियोजना को सीधे अडानी समूह को देने पर जोर दिया था. Re a statement made by the #lka CEB Chairman at a COPE committee hearing regarding the award of a Wind Power Project in Mannar, I categorically deny authorisation to award this project to any specific person or entity. I trust responsible communication in this regard will follow. Privileged to meet President @GotabayaR and PM @PresRajapaksa. In addition to developing Colombo Port's Western Container Terminal, the Adani Group will explore other infrastructure partnerships. India's strong bonds with Sri Lanka are anchored to centuries’ old historic ties. pic.twitter.com/noq8A1aLAv
रिपोर्ट के अनुसार, इस दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए राजपक्षे ने किसी इकाई विशेष को प्रोजेक्ट देने की बात से इनकार किया. वहीं ये सनसनीखेज दावा करने के दो दिन बाद बिजली प्राधिकरण के प्रमुख ने यू-टर्न ले लिया. उन्होंने कहा कि ‘भावनाओं’ में बहकर उन्होंने ‘झूठ’ बोला था. — Gotabaya Rajapaksa (@GotabayaR) June 11, 2022 — Gautam Adani (@gautam_adani) October 26, 2021
सार्वजनिक उद्यमों की संसदीय समिति (सीओपीई) की एक सुनवाई में सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) के अध्यक्ष एमएमसी फर्डिनेंडो ने कहा कि श्रीलंका के राष्ट्रपति ने उनसे कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री अडानी समूह को 500 मेगावाट का पवन ऊर्जा संयंत्र देने पर जोर दे रहे हैं. श्रीलंकाई चैनल न्यूज़फर्स्ट द्वारा साझा किए गए उनकी गवाही के एक वीडियो क्लिप के अनुसार, फर्डिनेंडो कहते हैं, ’24 नवंबर, 2021 को एक बैठक के बाद राष्ट्रपति ने मुझे बुलाया और कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी उन पर अडानी समूह को परियोजना सौंपने के लिए दबाव बना रहे हैं.’