श्रीलंका का वो क़ानून जिसे बदलने के लिए पड़ रहा है दबाव
BBC
श्रीलंका की सभी सरकारों ने इस क़ानून का इस्तेमाल किया है और उन पर आरोप है कि वो आलोचकों के दमन के लिए इसका इस्तेमाल करती रही है.
अंधेरी काल कोठरी की यादें और जान जाने का डर अभी भी मुरुगिया कोमहन को डराता है. एक आतंकरोधी मामले में वो श्रीलंका में छह साल जेल में बिता चुके हैं.
40 वर्षीय कोमहन उन हज़ारों तमिल समुदाय के लोगों और उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें बीते दशकों में आतंकवाद निवारण अधिनियम (PTA) के तहत गिरफ़्तार किया गया.
सिंहला समुदाय के दबदबे वाली सभी सरकारों ने अलगाववादी संगठन तमिल टाइगर्स (LTTE) से जुड़े संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार करने के लिए PTA का ख़ूब इस्तेमाल किया. 2009 में LTTE के विद्रोहियों को हरा दिया गया था.
गृह युद्ध समाप्त होने के एक दशक के बाद ये क़ानून अभी भी इस्तेमाल में है और श्रीलंका सरकार पर दबाव है कि वो इसमें बदलाव लाए.
यूरोप में श्रीलंका में बने सामान का एक बड़ा बाज़ार है, और यूरोप लगातार उसपर मानवाधिकारों के पैमाने पर प्रगति के लिए दबाव डाल रहा है.