
शेरशाह सूरी: हिंदुस्तान की सूरत बदलने वाला बादशाह जिसके साथ इतिहास ने नहीं किया न्याय - विवेचना
BBC
शेरशाह सूरी को सिर्फ़ पांच साल भारत पर राज करने का मौक़ा मिला लेकिन इतने थोड़े समय में ही उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी. शेरशाह की 477वीं बरसी पर उन्हें याद कर रहे हैं रेहान फ़ज़ल विवेचना में.
शेरशाह सूरी की गिनती उन बादशाहों में होती है जिनके साथ इतिहास ने कभी न्याय नहीं किया. शायद इसका कारण ये रहा हो कि उन्होंने सिर्फ़ पाँच वर्षों तक भारत पर राज किया और उनकी मौत के दस वर्षों के भीतर उनके वंश का शासन भी समाप्त हो गया.
शेरशाह की जीवनी लिखने वाले कालिकारंजन क़ानूनगो लिखते हैं, "शेरशाह का शासन भले ही सिर्फ़ पाँच वर्षों का रहा हो लेकिन शासन करने की बारीकी और क्षमता, मेहनत, न्यायप्रियता, निजी चरित्र के खरेपन, हिंदुओं ओर मुसलमानों को साथ लेकर चलने की भावना, अनुशासनप्रियता और रणनीति बनाने में वो अकबर से कम नहीं थे."
शेरशाह सूरी का असली नाम फ़रीद था. उन्होंने मुग़ल सेना में काम किया था और बाबर के साथ 1528 में उनके चंदेरी के अभियान में भी गए थे. बाबर की सेना में रहते हुए ही उन्होंने हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठने के ख़्वाब देखने शुरू कर दिए थे.
अपनी किताब 'तारीख़-ऐ- शेरशाही' में अब्बास सरवानी एक किस्सा बताते हैं, "एक बार शेरशाह बाबर के साथ खाना खा रहे थे. उन्हें खाते हुए देख बाबर ने अपने ख़ासमख़ास ख़लीफ़ा से कहा, इसके तेवर देखो. मैं इसके माथे पर सुल्तान बनने की लकीरें देखता हूँ. इससे होशियार रहो और हो सके तो इसे हिरासत में ले लो."
"ख़लीफ़ा ने बादशाह को सफ़ाई दी कि शेरशाह में वो सब करने की क्षमता नहीं है, जो आप उसके बारे में सोच रहे हैं."