शिवराज सिंह चौहान मान गये या जेपी नड्डा ने मना लिया, लेकिन इससे मिला क्या?
AajTak
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से दिल्ली में मुलाकात के बाद शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर शांति का भाव तो था, सुकून का नहीं मालूम. दो चीजें जरूर ध्यान देने वाली रहीं. एक, तो वो वही करेंगे जो पार्टी कहेगी, और दो - उनकी जबान पर लाड़ली बहना का नाम न आना.
शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली पहुंच कर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है. हो सकता है, उनका भोपाल से दिल्ली जाने का मन न हो, फिर भी मजबूरी में भी कुछ काम तो करने ही पड़ते हैं.
भोपाल की प्रेस कांफ्रेंस में शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली को लेकर अपने मन की बात कुछ ऐसे ही की थी. हालांकि, उनकी बात का एक हिस्सा ही ज्यादा चर्चित रहा, 'मर जाना पसंद करूंगा, लेकिन दिल्ली नहीं जाऊंगा...' लेकिन ये अधूरी बात थी.
शिवराज सिंह चौहान बताना चाह रहे थे, 'अपने लिए कुछ मांगने के लिए दिल्ली नहीं जाऊंगा.' दिल्ली पहुंचने के बाद भी शिवराज सिंह अपनी बात पर टिके नजर आये, '...जो खुद के लिए कुछ मांगता है वो अच्छा इंसान नहीं है.'
बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान हुई बातचीत को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने इशारों इशारों में कई बातें समझाने की कोशिश की, और बार बार अपनी तरफ से सफाई भी पेश करते रहे, 'मेरे लिए जो भी भूमिका होगी... मैं उसे निभाऊंगा.'
सवाल जवाब के क्रम में ये भी बताये कि राज्य के साथ साथ केंद्र में भी उनकी भूमिका रहेगी - और साथ ही दक्षिण का भी रुख करना होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत संकल्प यात्रा के लिए.
पहली बार शिवराज सिंह चौहान के मुंह से अपनी तरफ से मध्य प्रदेश की लाड़ली बहना योजना का जिक्र नहीं सुनने को मिला. हां, पूछे जाने पर भाई और बहन के रिश्ते और उसे सबसे बड़ा पद जरूर बता रहे हैं. लगता है, जेपी नड्डा से संकेत मिल जाने के बाद अब वो अपनी ब्रांडिंग से बचने की कोशिश करेंगे. ये शायद नेताओं के ब्रांडिंग को लेकर मोदी के बयान का असर है. वैसे वो ये याद दिलाना नहीं भूल रहे हैं कि वो चाहते हैं कि मध्य प्रदेश के नये मुख्यमंत्री मोहन यादव उनके किये गये कामों को नई ऊंचाई जरूर दें.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.