शशि थरूर ने दिल्ली हाईकोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ पहुंची सुप्रीम कोर्ट, PM पर की थी टिप्पणी
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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित 'बिच्छू' वाली टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ मानहानि के मामले में कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बता दें कि जून 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मामले में जमानत दे दी थी.
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित 'बिच्छू' वाली टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ मानहानि के मामले में कार्यवाही को रद्द करने से इनकार करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष उनकी याचिका का उल्लेख किया गया, जिसमें मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया.
थरूर के वकील ने तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा कि थरूर को कल (10 सितंबर) को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया है. सीजेआई ने वकील से अनुरोध मेल करने को कहा और कहा कि वह इस पर गौर करेंगे. पिछले महीने हाईकोर्ट ने कहा था कि इस चरण में कार्यवाही रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता है.
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दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत पर उन्हें तलब करने के ट्रायल कोर्ट के 2019 के आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि न्याय के हित में कार्यवाही जारी रखना समीचीन है.
अदालत ने 2020 के अपने पहले के अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें उसने ट्रायल कोर्ट के समक्ष मामले में कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का निर्देश दिया था. पक्षों को 10 सितंबर को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया. अक्टूबर 2020 में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष थरूर के खिलाफ कार्यवाही पर अंतरिम रोक भी लगाई थी. जून 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मामले में जमानत दे दी थी.
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के नेता राजीव बब्बर ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने शशि थरूर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था. याचिका में कहा गया है, 'शिकायतकर्ता की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और आरोपी (शशि थरूर) ने जानबूझकर यह दुर्भावनापूर्ण कृत्य किया, जिसका उद्देश्य भगवान शिव के भक्तों की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना था.'
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