शरिया क़ानून क्या है और 'तालिबान के शासन' में अफ़ग़ान महिलाओं के लिए इसके क्या मायने हैं?
BBC
तालिबान ने कहा है कि मीडिया और महिलाओं के अधिकारों जैसे मसलों से 'इस्लामी क़ानून के ढांचे के तहत' निपटा जाएगा. तालिबान ने यह नहीं बताया कि व्यवहार में इसके क्या मायने हैं.
तालिबान ने कहा है कि वे इस्लाम की शरिया क़ानूनी प्रणाली की सख़्त व्याख्या के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान पर शासन करेंगे. इस समूह ने राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद अपनी जीत का दावा किया है. इसके साथ ही देश में अमेरिकी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना की उपस्थिति को क़रीब दो दशक बाद ख़त्म कर दिया है. देश पर अपना नियंत्रण क़ायम कर लेने के बाद बुलाई गई पहली प्रेस वार्ता में, तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि मीडिया और महिलाओं के अधिकारों जैसे मसलों से "इस्लामी क़ानून के ढांचे के तहत" निपटा जाएगा. हालांकि तालिबान ने अभी तक यह नहीं बताया कि व्यवहार में इसके क्या मायने होंगे. नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफ़ज़ई जिन्हें पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की वक़ालत करने के चलते तालिबान ने 15 साल की उम्र में गोली मार दी थी, उन्होंने चेतावनी दी है कि शरिया क़ानून की तालिबान की व्याख्या अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए घातक हो सकती है.More Related News