वो कानून जो बनाता है नेता प्रतिपक्ष को ताकतवर... जानें- राहुल गांधी को 5वीं पंक्ति में बैठाने पर क्यों हो रहा विवाद
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लाल किले पर हुए स्वतंत्रता दिवस समारोह में राहुल गांधी को पांचवीं पंक्ति में बैठाने पर विवाद हो गया है. कांग्रेस ने इस पर सरकार को घेरा है. वहीं, सरकार का कहना है कि आगे की सीटें ओलंपिक मेडल विजेताओं के लिए थी. ऐसे में जानते हैं कि नेता प्रतिपक्ष का पद कितना ताकतवर होता है? संसद में इस पद की शुरुआत कैसे हुई?
स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर हुए कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को पांचवीं पंक्ति में बैठाने पर विवाद हो गया है. कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर विपक्ष के नेता को उचित सम्मान नहीं देने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए लिखा, 'मोदी जी, अब समय आ गया है कि आप 4 जून के बाद की नई वास्तविकता को समझें. जिस अहंकार के साथ आपने स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को आखिरी पंक्तियों में धकेल दिया, उससे पता चलता है कि आपने कोई सबक नहीं लिया है.'
लाल किले में होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह की सारी जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है. रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि आगे की पंक्तियों में ओलंपिक मेडल विजेताओं के बैठने का इंतजाम किया गया था, इसलिए राहुल गांधी को पीछे बैठाया गया.
प्रोटोकॉल के मुताबिक, विपक्ष के नेता को आगे की पंक्ति में बैठाया जाता है. बताया जा रहा है कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भी पांचवीं पंक्ति में जगह दी गई थी. हालांकि, वो आए नहीं थे.
हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने रक्षा मंत्रालय की इस सफाई को 'बेवकूफी' भरा बताया. उन्होंने कहा कि 'ओलंपिक मेडल विजेताओं को सम्मान बिल्कुल मिलना चाहिए. लेकिन क्या ये सम्मान गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा नहीं देना चाहते. वो क्यों आगे बैठे थे?'
बहरहाल, ये 10 साल बाद था जब लोकसभा में विपक्ष के नेता स्वतंत्रता दिवस के समारोह में शामिल हुए थे. क्योंकि 2014 और 2019 में कांग्रेस इतनी सीटें नहीं जीत सकी थी कि उसे नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाए. क्योंकि नेता प्रतिपक्ष का पद उसी पार्टी को मिलता है, जिसने लोकसभा में कम से कम 10% सीटें जीती हों यानी 543 में से 54 सीट. लेकिन 2014 में कांग्रेस 44 और 2019 में 52 सीट ही जीत सकी थी. इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीती थीं.
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