वैश्विक नागरिक समाज संगठन ने भारत में नागरिक स्वतंत्रता को ‘दमित’ श्रेणी में रखा
The Wire
वैश्विक नागरिक समाज संगठन ‘सिविकस’ की ओर से जारी एक रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में यूएपीए और एफ़सीआरए जैसे कठोर क़ानूनों का इस्तेमाल उन लोगों और एनजीओ के ख़िलाफ़ करने की बात कही गई है, जो सरकार से सहमत नहीं होते हैं.
नई दिल्ली: एक वैश्विक नागरिक समाज गठबंधन ‘सिविकस’ (CIVICUS) ने अपनी एक नई रिपोर्ट ‘पीपुल पावर अंडर अटैक 2022’ में नागरिक स्वतंत्रता की बात पर भारत की स्थिति को ‘दमित’ (Repressed) श्रेणी में रखा है. भारत में दमनकारी गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) जैसे आतंकवाद-विरोधी कानूनों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा छात्र कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में रखने के लिए व्यवस्थित रूप से उपयोग किया गया है.
साल 2018 में भारत की नागरिक स्वतंत्रता को ‘अवरुद्ध’ (Obstructed) श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया था, लेकिन 2019 में इसे ‘दमित’ श्रेणी में कर दिया गया था और तब से यह इसी श्रेणी में है. जैसे वे कार्यकर्ता जिन पर सरकार ने 2018 में भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है. कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों में कश्मीरी कार्यकर्ता खुर्रम परवेज भी हैं.
रिपोर्ट में भारत के संदर्भ में यूएपीए और एफसीआरए जैसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल उन लोगों और एनजीओ के खिलाफ करने की बात कही गई है, जो सरकार से सहमत नहीं होते हैं. इसके अलावा सरकार ने सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ सोशल कंसर्न और ऑक्सफैम इंडिया जैसे महत्वपूर्ण नागरिक समाज संगठनों पर छापा मारने और उन्हें परेशान करने के लिए विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एसीआरए) का इस्तेमाल किया और ऐसे संगठनों की विदेशी फंडिंग तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया.
रिपोर्ट में कहा गया है: