विदेश मंत्री एस जयशंकर आजकल इतना 'तीखा' क्यों बोल रहे हैं
BBC
भारत जब मुश्किल वैश्विक परिस्थिति में घिरा हुआ है, ऐसे में विदेश मंत्री एस जयशंकर जिस तरह से पश्चिम के देशों को घेर रहे हैं, वह भारत को किस ओर ले जाएगा? भारतीय विदेश मंत्री इतना तल्ख क्यों हैं?
विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता के सुब्रमण्यम को भारत की कूटनीति का भीष्म पितामह कहा जाता है.
के सुब्रमण्यम को कई सरकारों ने पद्म सम्मान के लिए चुना लेकिन उन्होंने हमेशा लेने से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि ब्यूरोक्रेट और पत्रकार को सरकार से कोई सम्मान लेने से बचना चाहिए. लेकिन मार्च 2019 में उनके बेटे एस जयशंकर ने ब्यूरोक्रेट के तौर पर ही पद्मश्री सम्मान लिया था.
मोदी कैबिनेट में एस जयशंकर की जो पारिवारिक पृष्ठभूमि है, वह किसी भी मंत्री की नहीं है. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर जाने-माने स्कॉलर परिवार से हैं. उनके पिता के सुब्रमण्यम देश के जाने-माने कूटनीतिज्ञ थे. के सुब्रमण्यम 1951 आईएएस बैच के टॉपर थे. उन्हें केएस या सुब्बु नाम से भी जाना जाता था.
केएस को भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन का शिल्पकार माना जाता है. 'परमाणु हथियार का इस्तेमाल भारत पहले नहीं करेगा' वाले सिद्धांत का श्रेय भी केएस को ही दिया जाता है.
इन्होंने होमी भाभा के साथ भी काम किया था. 1962 से 1966 तक भारत के रक्षा मंत्री वाईबी चव्हाण थे और केएस पर वह काफ़ी भरोसा करते थे. यह वही दौर था जब भारत पर चीन (1962) और पाकिस्तान (1965) ने हमला किया था. अटल बिहारी वाजपेयी ने केएस को करगिल युद्ध की समीक्षा के लिए बनी समिति का अध्यक्ष बनाया था.