विक्रम मिस्री की तालिबान के विदेश मंत्री से मुलाकात से पाकिस्तान में घबराहट, पूर्व राजनयिक बोले- हमारी लड़ाई का...
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भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है. भारत और अफगानिस्तान की शीर्ष स्तर पर हुई इस बातचीत से पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है क्योंकि वर्तमान में पाकिस्तान सरकार और तालिबान सरकार एक दूसरे के दुश्मन से कम नहीं है.
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई के दौरे पर अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से मुलाकात की है. भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ती करीबी से पाकिस्तान में हलचल है क्योंकि वर्तमान में पाकिस्तान सरकार और तालिबान सरकार के बीच तनातनी चल रही है. दोनों देशों की ओर से सीमावर्ती इलाकों में हमले किए जा रहे हैं. बीते दिनों पाकिस्तान की एयरस्ट्राइक में अफगानिस्तान के कुछ आम नागरिकों की भी मौत होने की खबर है जिसको लेकर भारत ने दुख भी व्यक्त किया है.
खास बात है कि अगस्त 2021 में अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के लौटने बाद उनकी भारत के साथ यह पहली उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता है. मुलाकात के दौरान भारत और तालिबान सरकार के बीच द्विपक्षीय संबंधों से लेकर क्षेत्रीय विकास तक तमाम मुद्दों पर बातचीत हुई.
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, इस मुलाकात के दौरान अफगानिस्तान में भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताओं, निकट भविष्य में दोनों देशों के बीच डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स पर विचार करने की जरूरत, पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के पुनर्वास में मदद पर चर्चा की गई. इसके साथ ही ईरान के चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल को लेकर और दोनों देशों के बीच क्रिकेट को लेकर भी चर्चा की गई. भारत और अफगानिस्तान की इस उच्चस्तरीय मुलाकात ने पाकिस्तान में भी हलचल मचा दी है.
'अफगानिस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई का फायदा उठा रहा भारत'
भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक रहे अब्दुल बासित ने दोनों देशों के प्रतिनिधियों की मुलाकात को लेकर कहा, 'मैं पहले से ही कहता रहा हूं कि तालिबान और भारत के संबंध धीरे-धीरे ठीक हो जाएंगे. यह भी याद रहे जब अफगानिस्तान में सत्ता पलटी थी तो उस समय भारत यूएनएससी का अस्थायी अध्यक्ष था. भारत का उस समय मानना था कि तालिबान की वजह से अफगानिस्तान में गृहयुद्ध हो सकता है.'
अब्दुल बासित ने आगे कहा कि, यही वजह है कि भारत ने जल्दबाजी में 30 अगस्त, 2021 को काउंसिल की बैठक में एक प्रस्ताव पारित कराया जिसके अनुसार तालिबान को उस समय तक आधिकारिक मान्यता ना दी जाए, जब तक वहां स्थिर और शांतिप्रिय सरकार न स्थापित हो जाए.
मशफी बिन्ते शम्स ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण एकमात्र मुद्दा नहीं है, और दोनों देश अपने 'बहुआयामी' संबंधों के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'शेख हसीना का प्रत्यर्पण अभी बांग्लादेश सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.' उन्होंने कहा कि अल्पकालिक स्थितियों पर ध्यान देने के बजाय, दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक संबंधों पर ध्यान देना चाहिए.
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