
वक्फ विधेयक पर NDA एकजुट, विपक्ष का प्लान फेल! कल लोकसभा में पेश होगा बिल, सभी दलों ने कसी कमर
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लोकसभा में NDA के 293 सांसद हैं. इंडिया गठबंधन के पास 235 सांसद हैं, जिसस में अन्य को भी जोड़ दें तो ये संख्या 249 तक ही जाती है. जबकि बहुमत का नंबर 272 है. विपक्ष को लगता रहा कि अगर 16 सांसद वाली टीडीपी और 12 सांसद वाली जेडीयू वक्फ बिल का विरोध कर दें तो गेम पलट सकता है क्योंकि तब NDA का नंबर घटकर 265 हो जाएगा और बिल के विरोध में नंबर 277 पहुंच जाएगा.
अब से कुछ घंटे बाद देश की सियासत में संसद के भीतर वक्त बदलने वाला है, जब आठ घंटे की बहस शुरू होगी. तय होगा कि देश की सबसे बड़ी और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड का वक्त अब बीते दौर की बात है या नहीं. कल लोकसभा में दोपहर 12 बजे वक्फ संशोधन बिल सरकार ला रही है. कल ही वोटिंग भी होगी और ये तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के सबसे अहम बिल पर कल जीत हासिल कर सकती है. अब तक नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, देवगौड़ा, चिराग पासवान, मांझी, जयंत चौधरी की पार्टी ने बिल के समर्थन की हरी झंडी दे दी है. कर्नाटक में सहयोगी दल जेडीएस के दोनों सांसद भी कल वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करेंगे.
भले तीसरी बार में अपने दम पर बहुमत से बीजेपी 32 सीट दूर रह गई हो लेकिन कुछ ही घंटे बाद संसद में वक्फ संशोधन बिल पर सरकार अपना शक्ति प्रदर्शन दिखाएगी. भले 63 सीट पिछली बार के मुकाबले लोकसभा में बीजेपी की घटी हो लेकिन सरकार बताने जा रही है कि हम सीटें घटने से बड़े फैसले लेने में पीछे नहीं हटते. भले तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार 14 सहयोगी दलों के 53 सांसदों के समर्थन पर टिकी हो लेकिन सरकार कुछ ही घंटे में बताने जा रही है कि बहुमत से बड़ा सर्वमत होता है. ऐसे में आज इस सवाल को समझना है कि क्या देश में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होती आई सियासत का वक्त अब वक्फ बिल के साथ बदलने जा रहा है?
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क्या बदलने वाली है मुस्लिम वोट की सियासत?
'धर्मनिरपेक्षता की राजनीति' ये वो शब्द है जो 90 के दशक की सियासत में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की तरफ से गढ़ा जाता था. जहां बीजेपी को सांप्रदायिक बताकर विरोधी धर्मनिरपेक्षता का दावा करके एकजुट हो जाता था और तब बीजेपी सत्ता में रहते हुए भी धर्मनिरपेक्षता का छाता लगाकर होती विरोधियों की राजनीति के आगे बड़े फैसले लेने में हिचकिचाती थी. लेकिन 21वीं सदी में मोदी स्टाइल सियासत अलग है. जहां धर्मनिरपेक्षता के तराजू पर बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने वाले विरोधियों के मंसूबे बुधवार को वक्फ संशोधन बिल के मुद्दे पर हवा में लटके रह सकते हैं क्योंकि गठबंधन सरकार होने के बावजूद नीतीश-नायडू, चिराग, मांझी के समर्थन के साथ मोदी सरकार का पलड़ा भारी लग रहा है.
सरकार जिस वक्फ बिल के जरिए बदलाव ला रही है वो केवल वक्फ बोर्ड को ही नहीं बदलने वाला है, बल्कि देश की मुस्लिम वोट की सियासत और धर्मनिरपेक्षता के नाम पर होती राजनीति को भी बदल रहा है. क्योंकि विपक्ष के तमाम तानों, उलाहनों के बावजूद ना तो नीतीश, ना चंद्रबाबू नायडू, ना चिराग पासवान, ना ही जयंत चौधरी का स्टैंड बिल के विरोध में आया है. वक्फ संशोधन बिल बुधवार को लोकसभा में पास होता है तो ये राहुल गांधी की राजनीति के लिए झटका होगा.

याचिका में उन्होंने तर्क दिया है कि यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 25 (धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक संस्थाओं को स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि इस कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन अब राजनीतिक हस्तक्षेप के अधीन हो सकता है, जिससे मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वायत्तता प्रभावित होगी.

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