
वक्फ बिल पर अब RLD में खलबली, प्रदेश महासचिव ने छोड़ी पार्टी, कहा- जयंत चौधरी भटक चुके
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वक्फ बिल को लेकर पहले से ही कई मुस्लिम संगठनों में असंतोष था, लेकिन आरएलडी के समर्थन के बाद अब पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के वक्फ बिल को समर्थन के बाद पार्टी के कई मुस्लिम नेताओं ने भी इस्तीफा दे दिया था.
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने वक्फ बिल पर पार्टी के समर्थन से नाराज होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने एक वीडियो जारी कर यह घोषणा की और पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी पर तीखे हमले किए और कहा कि वह भटक चुके हैं. शाहजेब रिजवी ने कहा कि मुसलमानों ने पूरे दिल से जयंत चौधरी को समर्थन दिया था, लेकिन उन्होंने समुदाय के साथ न्याय नहीं किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि जयंत चौधरी सेक्युलरिज़्म के मार्ग से भटक चुके हैं और अब उनकी नीतियां समुदाय के हितों के विपरीत हैं. अपने बयान में उन्होंने कहा, "मुसलमानों ने झोली भरकर जयंत चौधरी को वोट दिया था, लेकिन उन्होंने हमारे साथ खड़े होने के बजाय वक्फ बिल का समर्थन कर दिया. यह हमारी भावनाओं और अधिकारों के खिलाफ है."
'मुसलमानों को धोखा दिया'
अपने वीडियो में उन्होंने कहा कि जिन पार्टियों को मुसलमानों ने समर्थन दिया और मुख्यधारा में लाया, आज वही पार्टियां उनके खिलाफ बने कानूनों का समर्थन कर रही हैं. उन्होंने खास तौर पर जयंत चौधरी का नाम लेते हुए कहा कि जो नेता खुद को सेक्युलर बताते थे, आज उन्होंने मुसलमानों को धोखा दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के 10 विधायक चुने गए, जिनमें मुसलमानों का बड़ा योगदान था. मुसलमानों ने एकतरफा वोट देकर इस पार्टी को मजबूत किया, लेकिन अब जब उनकी ज़रूरत थी, तब पार्टी ने उनका साथ नहीं दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए. चौधरी चरण सिंह के बताए रास्ते से भटकना सही नहीं है. उन्होंने बताया कि मुसलमानों के मन में विश्वास था कि ये पार्टी उनके हक़ की बात करेगी, लेकिन अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
उन्होंने नितीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और पप्पू यादव जैसे नेताओं पर भी निशाना साधते हुए कहा कि ये नेता खुद को सेक्युलर बताते हैं, लेकिन जब मुसलमानों को जरूरत पड़ती है, तब चुप्पी साध लेते हैं. उन्होंने इस नए कानून का विरोध किया और कहा कि इससे समाज में भाईचारा खत्म होगा, जो देश के लिए सही नहीं है. अंत में, उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल से इस्तीफा देने की घोषणा की और कहा कि अगर कोई पार्टी आपके साथ न खड़ी हो, तो उसे छोड़ देना ही बेहतर है. उन्होंने मुसलमानों से भी अपील की कि वे चुनाव के समय अपने फैसले सोच-समझकर लें और ऐसे लोगों पर भरोसा न करें जो उनके साथ धोखा करते हैं.

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