![लोन लेकर PhD कर रहे हैं, अब फेलोशिप नहीं दे रही महाराष्ट्र सरकार... 29 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को छलका दर्द](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202311/students_protest_as_fellowships_reduced-sixteen_nine.jpg)
लोन लेकर PhD कर रहे हैं, अब फेलोशिप नहीं दे रही महाराष्ट्र सरकार... 29 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को छलका दर्द
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महाज्योति संस्थान द्वारा ओबीसी, घुमंतू समुदाय के छात्रों को पीएचडी के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले रिसर्च फेलोशिप (एमजेपीआरएफ) दी जाती है. लेकिन इस साल सरकार ने केवल 200 ही पीएचडी स्टूडेंट्स को फेलोशिप देने का फैसला किया है जबकि आवेदकों की संख्या 1450 है.
गरीब परिवारों के बच्चे मुश्किल से हायर स्टडीज का सपना देख पाते हैं. बहुत से छात्र फेलोशिप के भरोसे अपनी पढ़ाई आगे जारी रखते हैं लेकिन क्या हो अगर इस पर उन बच्चों का बड़ा सहारा फेलोशिप ही न मिल पाए. ऐसा ही डर महाराष्ट्र के पीएचडी छात्र-छात्राओं को सता रहा है. महाराष्ट्र सरकार राज्य के हाशिये पर खड़े समुदायों से संबंधित रिसर्चर्स को दी जाने वाली फेलोशिप की संख्या में भारी कटौती करना चाहती है, इन समुदायों के छात्र इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और करीब एक महीने से भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
करीब एक महीने से भूख हड़ताल पर क्यों हैं छात्र? महाज्योति संस्थान द्वारा ओबीसी, घुमंतू समुदाय के छात्रों को पीएचडी के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले रिसर्च फेलोशिप (एमजेपीआरएफ) दी जाती है. राज्य ने 2021 में 957 ओबीसी छात्रों और 2022 में 1,226 पीएचडी कर रहे छात्रों को फेलोशिप दी, लेकिन इस साल सरकार ने केवल 200 ही पीएचडी स्टूडेंट्स को फेलोशिप देने का फैसला किया है जबकि आवेदकों की संख्या 1450 है. अब फेलोशिप में बढ़ोतरी की मांग को लेकर ओबीसी स्टूडेंट्स पिछले 29 दिनों से आजाद मैदान में क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हैं. पुणे और कोल्हापुर में दूसरे समुदाय के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
ओबीसी स्टूडेंट का छलका दर्द सद्दाम मुजावर पीएचडी छात्र का कहना है कि ओबीसी कैटेगरी में 412 जातियां हैं. इनमें से हायर स्टडी पूरी करने वाले कई छात्र अपने परिवार में बड़े हैं. हायर एजुकेशन में ओबीसी छात्रों की संख्या बहुत कम है, जबकि रिसर्च फील्ड में उनकी संख्या न के बराबर है. हालांकि कई ओबीसी नेता मराठा समुदाय के छात्रों को आरक्षण नहीं देने का विरोध कर रहे हैं लेकिन उनमें से कोई भी हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया है.
लोन लेकर कर रहे पीएचडी इस साल जून में सरकार ने अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ी जाति (OBC) और मराठा छात्रों के लिए फेलोशिप में कटौती का फैसला लिया था. एक अन्य छात्र सचिन गिरी ने कहा कि 1465 ओबीसी छात्रों ने फेलोशिप के लिए आवेदन किया है, जिनमें से 200 छात्रों की मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी. लेकिन इन छात्रों के पास पीएचडी पूरी करने के लिए अन्य विकल्प हैं. हम में से बहुत से स्टूडेंट्स ने लोन लिया है और तब अपना एक साल कंप्लीट कर पाए हैं. अगर हमें पहले इस कटौती के बारे में जानकारी दी गई होती तो हम पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन ही नहीं करते. वैसे भी नई शिक्षा नीति के अनुसार पीएचडी छात्रों का नामांकन कम हो जाएगा, इसलिए यह केवल इस साल का सवाल है.
हर महीने इतनी मिलती है फेलोशिप बता दें कि फेलोशिप योजनाओं के तहत, पीएचडी करने वाले सीमांत छात्रों को पहले दो साल के लिए 31,000 रुपये और अगले तीन साल के लिए 35,000 रुपये प्रति माह का मासिक वजीफा मिलता है. सरकार के स्वायत्त चार स्वायत्त संगठन, डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (BARTI), जनजातीय अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (TRTI), महात्मा ज्योतिबा फुले अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (MAHAJYOTI) और छत्रपति शाहू महाराज अनुसंधान, प्रशिक्षण और मानव विकास संस्थान ( सारथी), क्रमशः एससी, एसटी, ओबीसी और मराठों को फेलोशिप प्रदान करती है.
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