लॉरेंस बिश्नोई, नीरज बवाना, काला जठेड़ी... दिल्ली के वो 7 गैंगस्टर जिनसे त्रस्त है राजधानी
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NIA ने लॉरेंस बिश्नोई और नीरज बवाना समेत दस गैंगस्टर का डॉजियर तैयार किया है. जल्द ही एनआईए इनके खिलाफ केस दर्ज करने करने की तैयारी में है. दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने इन गैंग के लोगों पर यूएपीए (UAPA) लगाने की तैयारी भी है.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली के लॉरेंस बिश्नोई और नीरज बवाना समेत दस गैंगस्टर का डॉजियर तैयार किया है. जल्द ही एनआईए इनके खिलाफ केस दर्ज करने करने की तैयारी में है. दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए सिरदर्द बने इन गैंग के लोगों पर यूएपीए (UAPA) लगाने की तैयारी भी है. दरअसल, एजेंसी दिल्ली-एनसीआर में सक्रीय गैंग और सिंडिकेट का सफाया करना चाहती है. ऐसे में हम आपको ऐसे 7 बड़े गैंग और गैंगस्टर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो जिनकी वजह से राजधानी के लोग अपराध से त्रस्त रहते हैं.
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई इस गैंगस्टर के गुर्गे पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, और राजस्थान में सक्रिय हैं. इसका गैंग कनाडा और दुबई से भी ऑपरेट करता है. सिद्धू मेसूवाला की हत्या में जब से गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम आया है, तब से हर कोई उसके बारे में सबकुछ जानना चाहता है. आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे क़ि लॉरेंस की इस क्राइम कंपनी में सब कुछ डिजिटल है. ये एक वर्चुअल संसार जैसा नज़र आता है. इस गैंग से जुड़े करीब 1000 लोग, जिसमें शार्प शूटर्स, बदमाश, केरीयर, सप्लायर, रैकी पर्सन, लॉजिस्टिक स्पोट बॉय, शेल्टर मेन सोशल मीडिया विग के सदस्य शामिल हैं. इस गैंग के टारगेट वर्चुअल नंबरों से ऑडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तय किए जाते हैं.
लारेंस इस क्राइम कंपनी में मास्टर ब्रेन है तो गोल्डी बरार कंपनी की रीढ़ की हड्डी है. लारेंस का भांजा सचिन बिश्नोई कंपनी का भर्ती सेल और टारगेट प्लान का प्रमुख है, जो इस वक्त फरार है. जबकि ऑस्ट्रीया से अनमोल और कनाडा से विक्रम बराड़ कंपनी की फाइनेंस डील को संभालते हैं. इस क्राइम कंपनी में हर टारगेट से जुड़ा शख्स केवल अपने आगे वाले एक शख्स को जानता है. इसके अलावा एक ऑपरेशन में जितने भी बंदे गैंग से जुड़े होते हैं, उन्हें बाकी गैंग मेम्बर के बारे में कोई भी जानकारी नही रहती.
बकायदा एक फुलप्रूफ़ प्लानिंग के मुताबिक गैंग के सदस्यों को अलग-अलग काम सौंपे जाते हैं. यानी रेकी कौन करेगा, पनाह कौन देगा? गाड़ियां कौन सप्लाई करेगा? हथियार कौन मुहैया कराएगा? क़त्ल के बाद किस तरफ किधर भागना है, और सबसे बड़ा सवाल कि फंडिंग कैसे होगी, इसे भी क्राइम मास्टर ही तय करते हैं. किलिंग के वक्त मौजूद गैंग मेम्बर भी अक्सर एक दूसरे को नहीं जानते ताकि पकड़े जाने पर गैंग के बाक़ी सदस्यों पर आंच ना आ सके.
इस पूरी साज़िश का ताना बाना सिंग्नल एए के जरिये होता है जहां बिना सिम के वर्चुअल नंबरों, इंटनरेट के नंबरों से कंपनी की सारी डील्स, सारे प्लान, पूरा ऑपरेशन और टारगेट फिक्स होते हैं. क्राइम मीटिंग में केवल निर्देश अधिकतर गैंगस्टर सचिन देता है जिसे आगे गैंग मेंबर फॉलो करते हैं. अपना हिस्सा लेते हैं औऱ फिर अगले काम मे जुट जाते हैं. लारेंस के गैंग में 1000 के करीब गैंगस्टर बदमाश और सक्रिय शॉर्प शूटर्स देश विदेश में मौजूद हैं.
तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई अपने गैंग को कुछ इस तरह चलाता है जैसे शायद कोई कभी बाहर रह कर न चला पता. सूत्रों की माने तो इस गैंग में करीब 700 से ज़्यादा शूटर्स हैं जो लॉरेंस के एक इशारे पर किसी को भी मारने निकल पड़ते हैं. ये सब शूटर्स दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में फैले हैं. इस गैंग का हवाला का पैसा ब्रिटेन और दुबई में भी लगा होने की जानकरियां मिली हैं. फिरौती के लिए अपहरण, क़त्ल, जबरन उगाही इस गैंग का पैसे कमाने का मुख्य जरिया है. 31 साल के लॉरेन्स पर 65 से ज़्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. वो एक बार पुलिस हिरासत से फ़रार भी हो चुका है.
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