लीथियम बैटरी का सबसे बड़ा उत्पादक चीन, क्या मुश्किल में पड़ जाएगा भारत का भविष्य? - दुनिया जहान
BBC
लीथियम बाज़ार का बड़ा हिस्सा चीन के नियंत्रण में है. भारत-चीन तनाव को देखते हुए क्या ग्रीन एनर्जी अपनाने का ख़्वाब देख रहे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बीते एक साल में लीथियम की क़ीमतों में चार गुना से ज़्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वजह ये कि लकड़ी से भी हल्की इस धातु के बिना इलेक्ट्रिक कारें नहीं बनाई जा सकतीं. ऐसी कारें ख़ास लीथियम बैटरी से चलती हैं जिन्हें बार-बार चार्ज किया जा सकता है.
कारों के अलावा लीथियम बैटरी का इस्तेमाल फ़ोन और लैपटॉप में भी होता है और आने वाले वक्त में ग्रीन एनर्जी यानी सतत ऊर्जा स्टोर करने के लिए भी इनके इस्तेमाल की योजना है.
कई देश अब पेट्रोल-डीज़ल छोड़ ग्रीन एनर्जी की तरफ़ बढ़ने की कोशिश में हैं. यानी भविष्य में लीथियम बैटरियों का इस्तेमाल और बढ़ेगा.
भारत भी उन देशों में शामिल है. भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए काफ़ी हद तक जीवाश्म ईंधन पर निर्भर है और सरकार की योजना आनेवाले समय में ग्रीन एनर्जी को अपनाने की है. भारत चीन बड़े कारोबारी सहयोगी हैं, पर दोनों के बीच तनाव भी है. ऐसे में दुनिया के सबसे बड़े लीथियम बैटरी के उत्पादक चीन के साथ रिश्तों के समीकरण लीथियम बैटरी की भारत की मांग पर असर डाल सकते हैं.