
लिव इन रिलेशनशिप में पैदा हुए बच्चे को विवाहित दंपति के बच्चे जैसा माना जाएः केरल हाईकोर्ट
The Wire
केरल हाईकोर्ट उस मामले को सुन रहा था, जहां लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली एक महिला ने अपने साथी से संबंध ख़त्म होने पर अपने बच्चे को गोद दे दिया था, पर अब दोबारा बच्चे को हासिल करना चाहती थीं. अदालत ने कहा कि जैविक माता-पिता का अधिकार एक स्वाभाविक अधिकार है.
तिरुवनंतपुरमः केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि गोद लेने के दौरान लिव इन रिलेशनशिप के दौरान पैदा हुए बच्चे को शादीशुदा दंपति के बच्चे की तरह की माना जाएगा. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस ए. मुहम्मद मुश्ताक और जस्टिस डॉ. कौसर एडप्पागाथ की पीठ ने यह फैसला लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे एक जोड़े की याचिका पर दिया. इस जोड़े ने गोद देने के लिए एक महिला को दिए अपने बच्चे को वापस पाने के लिए अदालत का रुख किया था. दरअसल अनीता नाम की एक महिला ने अपने बच्चे को गोद देने के लिए एक महिला को सौंप दिया था, दरअसल याचिकाकर्ता महिला लिव इन रिलेशनशिप में रहती थी लेकिन उनके लिव इन पार्टनर द्वारा सभी संबंध समाप्त करने के बाद महिला ने अपने बच्चे को उसे सौंपा था लेकिन अब दोनों के दोबारा मिलने पर उन्होंने अपने बच्चे को हासिल करने के लिए अदालत का रुख किया है.More Related News