लिव इन जोड़े में से एक शादीशुदा हो तो हम सुरक्षा नहीं दे सकतेः इलाहाबाद हाईकोर्ट
NDTV India
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में शुक्रवार को कहा कि वह लिव-इन संबंध के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब लिव इन संबंध में रह रही दंपति में से एक व्यक्ति शादीशुदा हो तो वह सुरक्षा नहीं दे सकता. अदालत ने यह टिप्पणी उन याचिकाकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए की, जो विवाह योग्य थे और साथ रहना चाहते थे और बाद में उन्होंने विवाह कर लिया. उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की इस दंपति की रिट याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा, “हम लिव इन संबंध के खिलाफ नहीं हैं. इससे पूर्व, हमने लिव इन संबंध में रहने के इच्छुक एक दंपति की पुलिस सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. इसका कारण यह था कि उन याचिकाकर्ताओं में से एक व्यक्ति पहले से विवाहित था.”
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में शुक्रवार को कहा कि वह लिव-इन संबंध के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब लिव इन संबंध में रह रही दंपति में से एक व्यक्ति शादीशुदा हो तो वह सुरक्षा नहीं दे सकता. अदालत ने यह टिप्पणी उन याचिकाकर्ताओं को पुलिस सुरक्षा प्रदान करते हुए की, जो विवाह योग्य थे और साथ रहना चाहते थे और बाद में उन्होंने विवाह कर लिया. उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले की इस दंपति की रिट याचिका आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा, “हम लिव इन संबंध के खिलाफ नहीं हैं. इससे पूर्व, हमने लिव इन संबंध में रहने के इच्छुक एक दंपति की पुलिस सुरक्षा की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. इसका कारण यह था कि उन याचिकाकर्ताओं में से एक व्यक्ति पहले से विवाहित था.”More Related News