
लाल बहादुर वर्मा: जीवन प्रवाह में बहते एक इतिहासकार का जाना…
The Wire
स्मृति शेष: लाल बहादुर वर्मा इतिहास की आंदोलनकारी और विचारधर्मी भूमिका के समर्थक थे. वे किताब से ज़्यादा इंसानों में विश्वास करते थे. केवल बैठे रहकर वे किसी बदलाव की उम्मीद नहीं करते थे, वे भारत के हर लड़ते हुए मनुष्य के साथ खड़े थे.
छात्रों का एक चहेता अध्यापक और विश्व साहित्य का अनुवादक, जो हम सभी से खुद को गंभीरता से लेने का बार-बार आग्रह करता रहा. जो एक बेहतर समाज में बेहतर इंसान के लिए ज़रूरी सांस्कृतिक आंदोलन चलाने के लिए जीवन भर समर्पित रहा. उन्होंने अपने व्यक्तित्व और स्वभाव के बारे में ‘कथन’ पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में ठीक ही कहा था कि ‘मैं अकादमिक और साहित्यिक होते हुए भी एक्टिविस्ट रहा हूं. जब गोरखपुर में था, तब भी; जब इलाहाबाद में था, तब भी और अब जबकि देहरादून में रहता हूं तब भी. हालांकि अब मैं बूढ़ा और रिटायर हो गया हूं – मैं एक काम हमेशा करता रहा हूं : दोस्ती करना. आज की दुनिया में जबकि दुश्मनियां बढ़ाई जा रही हैं, दोस्त बनाना एक तरह का एक्टिविज्म है, एक तरह का विद्रोह है, एक तरह के विपक्ष का निर्माण है.’ गोरखपुर के सेंट एंड्रूज़ कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई करने वाले लाल बहादुर वर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए (1959) करने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय से ‘आंग्ल-भारतीय (एंग्लो-इंडियन) जाति के विकास’ विषय पर पीएचडी की थी.More Related News