लव मैरिज करने पर बहन-बहनोई की कर दी हत्या, अब सलाखों के पीछे कटेगी पूरी जिंदगी
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दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने झूठी शान के नाम पर अपने बहन और बहनोई की हत्या करने वाले तीन हत्यारों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. एक अन्य दोषी को सात साल की कैद की सजा सुनाई गई है. साल 2010 में मुख्य दोषी अंकित चौधरी ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी बहन और उसके पति की दर्दनाक हत्या कर दी थी.
दिल्ली में साल 2010 में हुए 'हॉरर किलिंग' के एक चर्चित मामले में रोहिणी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले मृतिका के भाई के साथ उसके दो दोस्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य दोषी को सात साल की जेल हुई है. रोहिणी के अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने हत्या, साजिश रचने और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत दिल्ली के वजीरपुर निवासी अंकित चौधरी, मनदीप नागर और नकुल खारी को उम्रकैद की सजा सुनाई है. तीनों दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उन्हें बेकसूर मानने के लिए कोई आधार नहीं है. उनका अपराध करने से पहले और उसके बाद का व्यवहार, बरताव, मकसद, कार उधार लेना, कार की चाबियां और हथियार की बरामदगी समेत बैलिस्टिक रिपोर्ट भी दोषी ठहराने के लिए काफी है. आरोपियों के आचरण से साफ पता चलता है कि इन्होंने परिवार के कथित 'सम्मान' की खातिर अपने ही बहन और बहनोई को मौत की नींद सुला दिया. कोर्ट ने अंकित चौधरी और मनदीप नागर को शस्त्र अधिनियम के तहत भी दोषी ठहराया.
उम्रकैद की सजा सुनाते वक्त अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबरू भान ने कहा, ''आरोपी व्यक्तियों द्वारा हत्याएं इस धारणा के तहत की गईं कि वे परिवार और समुदाय की रक्षा कर रहे थे और लगभग एक घंटे के भीतर लगातार तीन हत्याएं की गईं. यह आचरण इंगित करता है कि आरोपी व्यक्ति पहली हत्या करने के बाद न तो परेशान थे और न ही पछता रहे थे. इस केस में अभियोजन पक्ष द्वारा फांसी की सजा की मांग की गई है, लेकिन यहां यह स्थापित किया जाना चाहिए कि मामला 'दुर्लभतम' श्रेणी में आता है.''
कोर्ट ने आगे कहा कि अपराध के समय तीनों दोषी युवावस्था में थे. उस वक्त तक उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था. वे समाज से अच्छी तरह से जुड़े हुए थे. ऐसे अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि आरोपी के पुनर्वास की संभावना है. इसलिए उनके लिए मौत की सजा उचित नहीं है. इसके बाद अदालत ने तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराधों के लिए कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई. आर्म्स एक्ट के तहत पांच साल कैद की अतिरिक्त सजा सुनाई गई.
जानकारी के मुताबिक, साल 2006 में मोनिका और कुलदीप ने दो अलग-अलग जाति समुदायों से होने के बावजूद शादी कर ली थी. इतना ही नहीं मोनिका अपने पति कुलदीप के साथ अपना घर छोड़कर दूसरी जगह रहने लगी थी. इससे उसके घरवाले खुद को समाज में अपमानित महसूस कर रहे थे. मोनिका और कुलदीप ने अपनी सुरक्षा के लिहाज से पहले उत्तम नगर में रहना शुरू किया. ये जगह मोनिका के गांव से थोड़ा दूर सुरक्षित थी. लेकिन कुछ वक्त बाद माहौल शांत होने के बाद दोनों अशोक विहार फेज 1 में शिफ्ट हो गए.
इधर, मोनिका की तरह उसके भाई के दोस्त मनदीप नागर की बहनों खुशबू और शोभा ने भी लव मैरिज कर ली. इसके बाद गांव में लोगों के बीच यह कहा जाने लगा कि शोभा और खुशबू ने कुलदीप और मोनिका के नक्शे कदम पर चलते हुए ही ऐसा किया है. फि अंकित चौधरी और मनदीप ने फैसला किया कि वो मोनिका और कुलदीप की हत्या करके गांव में एक मिसाल कायम करेंगे, ताकि कोई दूसरी लड़की इस तरह की हिमाकत न कर सके. इसके बाद 20 जून 2010 को उन्होंने उन दोनों की बेरहमी से हत्या कर दी थी.
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