
रेप और हत्या के मामलों में पीड़ितों की कम उम्र मृत्युदंड देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
The Wire
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कर्नाटक के इरप्पा सिद्दप्पा की अपील पर की, जिन्हें निचली अदालत ने पांच साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फ़ैसले को बरक़रार रखा था, हालांकि शीर्ष अदालत ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बलात्कार और हत्या के मामलों में पीड़ितों की कम उम्र को मृत्युदंड देने के लिए ‘इस अदालत की ओर से एकमात्र या पर्याप्त आधार’ नहीं माना गया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले का जिक्र किया जिसमें पिछले 40 साल में उसकी ओर से निपटाए गए 67 इसी तरह के मामलों का विश्लेषण किया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय की यह अहम टिप्पणी इरप्पा सिद्दप्पा की अपील पर आई है, जिसे निचली अदालत ने दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने छह मार्च, 2017 को निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. इरप्पा को 2010 में कर्नाटक के एक गांव में पांच साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था.
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने बलात्कार, हत्या और सबूतों को नष्ट करने के अपराधों के लिए सिद्दप्पा की दोषसिद्धि की पुष्टि की, लेकिन मृत्युदंड की सजा को रद्द कर दिया और इसे 30 साल की अवधि के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया.