![रेडियोएक्टिव पदार्थ के साथ हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा चीनी जहाज, हड़कंप के बाद श्रीलंका ने लौटाया](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202104/sri-lanka.jpg)
रेडियोएक्टिव पदार्थ के साथ हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा चीनी जहाज, हड़कंप के बाद श्रीलंका ने लौटाया
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चीन के एक जहाज में रेडियो एक्टिव पदार्थ यूरेनियम मिलने के बाद श्रीलंका ने उसे हंबनटोटा बंदरगाह को तुरंत छोड़ने की अपील की है. जिसके बाद दोनों देशों में तनाव की स्थिति हो गई है.
चीन के एक जहाज में रेडियो एक्टिव पदार्थ यूरेनियम मिलने के बाद श्रीलंका ने उसे हंबनटोटा बंदरगाह को तुरंत छोड़ने को कहा है. जिसके बाद दोनों देशों में तनाव की स्थिति हो गई है. ये जहाज चीन के लिए ही जा रहा था, लेकिन कुछ तकनीकी दिक्कत होने के कारण हंबनटोटा बंदरगाह पर रुक रहा था लेकिन श्रीलंकाई अधिकारियों ने उसे ऐसा करने से इनकार किया. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, श्रीलंका एटोनोमिक एनर्जी अथॉरिटी के अधिकारी अनिल रंजीत ने बताया है कि रोटरडैम बंदरगाह से ये जहाज चीन की ओर जा रहा था, लेकिन जब इसमें कुछ दिक्कत आई तो ये हंबनटोटा बंदरगाह की ओर आने लगा. जब जहाज को बंदरगाह में प्रवेश दिलवाया जा रहा था, तब जहाज द्वारा अंदर मौजूद रेडियोएक्टिव पदार्थ के बारे में सटीक जानकारी नहीं दी गई. जानकारी के मुताबिक, इस जहाज को चीन की चाइना मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग कंपनी मैनेज करती है. इस घटना के बाद श्रीलंका की संसद में भी हंगामा हुआ. श्रीलंकाई विपक्षी पार्टी के नेता सजीत प्रेमदासा ने संसद में कहा कि जब चीनी जहाज हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचा, तब श्रीलंकाई नेवी को उसकी जांच नहीं करने दी गई, जबकि पोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी नेवी के पास ही है. ना ही नेवी को जहाज में मौजूद रेडियोएक्टिव पदार्थ के बारे में बताया गया. गौरतलब है कि चीन और श्रीलंका के बीच पहले ही कोलंबो पोर्ट सिटी को लेकर बवाल चल रहा है. श्रीलंकाई सरकार ने चीन के साथ समझौता किया था, जिसके तहत कोलंबो पोर्ट सिटी को चीन को डेवलेप करना था. लेकिन श्रीलंका में इसका भारी विरोध हुआ, विपक्ष सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. बाद में सरकार बैकफुट पर आई और उसे सफाई देनी पड़ी कि जमीन का पूरा कब्जा सरकार के पास ही रहेगा.![](/newspic/picid-1269750-20250214181736.jpg)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.