रिफाइंड, सरसों के तेल और दूसरे खाद्य तेलों के क्यों बढ़ रहे हैं दाम?
BBC
सरसों के तेल में पिछले तीन सालों में 60 रुपये का अंतर आ गया है. वहीं, सोयाबीन में लगभग 50 रुपये का अंतर आ गया है. क्यों तेज़ी से बढ़ रही हैं कीमतें, पढ़िए
भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा आयातक है. आंकड़ों की बात करें तो भारत खाद्य तेलों की अपनी कुल खपत का लगभग 56 फ़ीसद हिस्सा विदेशों से मंगाता है.
इसमें सोयाबीन के तेल से लेकर सूरजमुखी और पाम ऑयल जैसे तमाम खाद्य तेल शामिल हैं जिन्हें इंडोनेशिया से लेकर मलेशिया, रूस. यूक्रेन समेत दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना जैसे देशों से आयात किया जाता है.
केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों की राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने पिछले हफ़्ते लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया, "खाद्य तेलों की मांग और आपूर्ति के बीच लगभग 56 फीसद का अंतर है और यह आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है."
साध्वी निरंजन ज्योति ने खाद्य तेलों की आपूर्ति और मांग से जुड़े आंकड़े बताते हुए कहा कि साल 2020-21 में भारत में खाद्य तेल की मांग 246.03 टन थी जिसमें से 134.52 टन मात्रा का आयात किया गया.
वहीं, खाद्य तेलों के खुदरा रेट की बात करें तो पिछले तीन सालों में मूंगफली, सरसों, वनस्पति, सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल के दामों में लगातार बढ़त देखी गयी है.