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रिटायर्ड इंजीनियर ने खोली इलेक्ट्रिकल कंपनी... 5 दुकानों में है ऑफिस, मांगे थे सिर्फ 14 करोड़, IPO को मिले 7100 Cr
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कंपनी के मालिक नटवर भाई राठौड़ गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (जीईबी) में इंजीनियर थे. साल 2008 में वह सेवानिवृत हुए. उसके बाद घर बैठकर ऊब रहे थे, तो उन्होंने अपने अनुभव वाले क्षेत्र में काम करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी खोल दी.
गुजरात के एक रिटायर्ड इंजीनियर के लिए यह सपने से कम नहीं है कि साल 2008 में बनाई जिस कंपनी का इश्यू साइज 14 करोड़ रुपए था और निवेशकों ने इसमें 7100 करोड़ रुपये का दांव लगा दिया. इस आईपीओ पर निवेशक इतने फिदा हैं कि 738 गुना सब्सक्रिप्शन हासिल हुआ है. हालांकि, शेयर बाजार के नियमों के अनुसार कंपनी की जरूरत के हिसाब से उतने ही रुपए के शेयर अलॉट होते हैं.
कंपनी के मालिक नटवर राठौड़ गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (जीईबी) में इंजीनियर थे. साल 2008 में वह सेवानिवृत हुए. उसके बाद घर बैठकर ऊब रहे थे, तो उन्होंने अपने अनुभव वाले क्षेत्र में काम करने के लिए एक प्राइवेट कंपनी खोल दी.
साल 2013 में नटवर ने चामुंडा इलेक्ट्रिकल्स नाम से कंपनी खोली. यह कंपनी गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के सब-स्टेशन के मेंटेनेंस का काम करती है. अपने संपर्क और काम के चलते धीरे-धीरे नटवर की कंपनी का काम बढता गया. पहले गुजरात और अब सिलवास (दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव) में उनका काम शरू हो गया है.
नटवर भाई अब 75 साल के हो चुके हैं तो वह ज्यादा दौड़ भाग नहीं करते. उन्होंने अपने बेटे को पूरा कामकाज सौंप दिया है. वह हर प्रोजेक्ट के काम को देखते जरूर हैं, लेकिन उसे पूरा करने का काम उनका बेटा करता है.
रिटायर्ड इंजीनियर नटवर राठौड़ का कहना है, बेटे की मेहनत की वजह से कंपनी आज आगे बढ़ रही है. मैनें तो सिर्फ अपने अनुभव का उपयोग करने के लिए कंपनी खोली थी, लेकिन अब वह काफी आगे बढ़ चुकी है. IPO लाने की वजह के बारे में नटवरभाई कहते हैं, हमारे इन्स्ट्रुमेंट को कैलिब्रेट करने के लिए दूसरे लैब में जाना पड़ता है, तो हमने सोचा कि हमारी खुद की लैबोरेटरी हो तो यह खर्च बच जाएगा. लेकिन इसके लिए काफी रुपए की जरूरत थी, इसलिए हम 14 करोड़ रुपए की जरूरत वाला आईपीओ लाए, लेकिन लोगों ने भरोसा दिखाते हुए 738 गुना यानी कि 7100 करोड़ रुपए से इसे ओवर सब्सक्राइब कर दिया.
15 फरवरी को ही नटवर की कंपनी के शेयर की लिस्टिंग हो चुकी है. अब उन्हें विश्वास है कि उनका काम ज्यादा आगे बढ़ता रहेगा और लोगों के भरोसे वह टूटने नहीं देंगे.
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आरएसएस से 32 साल तक जुड़ी रहीं गुप्ता ने 1992 में दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलत राम कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी. 1995-96 में वह दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की सचिव और 1996-97 में इसकी अध्यक्ष रहीं. 2002 में वह भाजपा में शामिल हुईं और पार्टी की युवा शाखा की राष्ट्रीय सचिव रहीं.
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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रेखा गुप्ता ने बुधवार शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का दावा पेश किया. उनके साथ राज्य भाजपा पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, शहर भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत भी थे. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा भी राज निवास में मौजूद थे.
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रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.
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रेखा गुप्ता का नाम दिल्ली की CM के रूप में चुना गया है, जो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री और BJP की दूसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है. बीजेपी ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का संदेश दिया है. रेखा गुप्ता कल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
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