राहुल गांधी पर आई 'आपदा' को अवसर में तब्दील कर पाएगी कांग्रेस?
AajTak
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से जब से ईडी ने पूछताछ शुरू की है, तो पार्टी के कई बड़े नेता उनके समर्थन पर सड़क पर उतर आए हैं. लंबे समय बाद पार्टी की एकता देखने को मिली है, पुलिस से संघर्ष भी हुआ है. राजनीति के लिहाज से पार्टी के लिए ये क्या संदेश है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED के बुलावे पर पूछताछ के लिए पहुंचे तो पूरी कांग्रेस ही सड़कों पर उतर आई. सिर्फ युवा चेहरे नहीं, बल्कि अशोक गहलोत, भूपेंद्र सिंह बघेल जैसे मुख्यमंत्री और पी चिदंबरम जैसे कद्दावर पूर्व मंत्री भी राहुल पर कार्रवाई के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर पुलिस से जूझते रहे. लंबे समय बाद पार्टी में वर्कर से लेकर शीर्ष नेता तक एकजुटता के साथ अपने नेता के समर्थन में कदमताल करते दिखे.
सवाल उठ रहे हैं कि गांधी परिवार पर आई ईडी की ये ‘आपदा’ क्या कांग्रेस के लिए अवसर लेकर आई है. अवसर ऐसा जिसमें वो पार्टी के असंतुष्टों खासकर जी-23 को दिखा सके कि पूरी कांग्रेस एकजुटता के साथ राहुल गांधी के पीछे खड़ी है. उन्हीं राहुल गांधी के पीछे जिनके नेतृत्व पर जी-23 सवाल उठाता रहा है. हालांकि, कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि कांग्रेस की यह एकजुटता पहली बार नहीं बल्कि गांधी परिवार पर जब भी संकट आया है तो खड़े नजर आए हैं.
राहुल गांधी भले ही खुद आगे से आकर नेतृत्व करने के इच्छुक नहीं दिख रहे हों, लेकिन कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने उनके समर्थन में आकर साफ कर दिया है कि वे राहुल के नेतृत्व में चलने और उनके लिए लड़ने को तैयार हैं. सोमवार और मंगलवार को दिल्ली की सड़कों के नजारे देखकर ये बात और भरोसे के साथ कही जा सकती है.
दिल्ली में सोमवार को कांग्रेस के सीनियर नेता पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, के सी वेणुगोपाल, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, तारिक अनवर सहित अनेक दिग्गज नेता सड़क पर उतरे तो उनका अंदाज यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं जैसा था. कांग्रेस पार्टी ने सोमवार शाम जारी बयान में कहा कि चिदंबरम को दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा धक्का दिए जाने के बाद उनकी बाईं पसली में फ्रैक्चर हो गया है. रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि केसी वेणुगोपाल पर हमला किया गया. प्रमोद तिवारी भी घायल हो गए तो तारिक अनवर को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया.
अध्यक्ष बनना चाहते हैं राहुल या नहीं? कांग्रेस नेताओं का सड़क पर उतरना और संघर्ष करना इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि राहुल गांधी कह चुके हैं कि वे भारत जोड़ो यात्रा को लीड नहीं करने वाले. वे साथ चलने को तैयार हैं, लेकिन आगे से नेतृत्व नहीं करना चाहते. हालांकि, कांग्रेस के तमाम बड़े नेता उन्हें बतौर अध्यक्ष देखना चाहते हैं. इसी वजह से पार्टी के कई दिग्गज लगातार उनके पीछे भी खड़े हैं और उन्हीं को आगे करने का प्रयास भी कर रहे हैं.
जी-23 को बांट दिया जाएगा? कांग्रेस के दिग्गज अगर राहुल गांधी के साथ खड़े हुए हैं, तो जी-23 के ज्यादातर नेता अभी भी पार्टी के कार्यक्रमों से दूरी बनाते दिख रहे हैं. जी-23 की तरफ से सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा गया था. पार्टी में बड़े बदलावों की पैरवी हुई थी, जल्दी अध्यक्ष चुनाव करवाने की भी अपील थी. जी-23 में भूपिंदर सिंह हुड्डा, कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक जैसे बड़े नाम शामिल थे.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.