राहुल गांधी जैसे ही एक मामले में चुनाव आयोग-मोदी सरकार ने अपने सहयोगी को अयोग्यता से बचाया था
The Wire
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले को 2016 में भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया गया था. 2018 में वे जेल से बाहर आए. इसके बाद उन्हें छह साल के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था, पर केंद्र ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के एक महत्वपूर्ण खंड को निरस्त कर दिया, जिससे भाजपा के सहयोगी तमांग मुख्यमंत्री बन सके.
नई दिल्ली: जिस तेजी से कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी को एक आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किया गया और जैसी कि संभावना है कि उनकी सजा समाप्ति के बाद वे छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होंगे, यह हाल ही में एक क्षेत्रीय नेता द्वारा मुख्यमंत्री बनने के लिए कानून को धता बताने की उस घटना के विपरीत है जिसमें उक्त नेता की नरेंद्र मोदी सरकार और यहां तक कि भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने भी मदद की थी.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8 के अनुसार, अगर एक मौजूदा विधायक, एमएलसी या सांसद ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है जिसमें कम से कम दो साल के कारावास की सजा हो तो वह सजा के आदेश वाली तारीख से ही विधानसभा/संसद से अयोग्य घोषित हो जाएगा. साथ ही, जेल से बाहर आने के बाद भी अगले छह साल की अवधि तक अयोग्य बना रहेगा. इसलिए वह इस अवधि में चुनाव नहीं लड़ सकता/सकती है.
इसलिए, अगर राहुल गांधी पर सूरत की अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा प्रभावी हो जाती है और वह इस पर उच्च न्यायालय से रोक लगवाने में विफल रहते हैं तो पूरी संभावना है कि उन्हें करीब आठ वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया जाएगा.
बहरहाल, राहुल गांधी को अयोग्य घोषित करने में लोकसभा सचिवालय द्वारा अभूतपूर्व तत्परता दिखाई गई और अदालती फैसले के अगले ही दिन उन्हें संसद से निष्काषित कर दिया. इस मौके पर, एक ऐसे ही अभूतपूर्व कदम को याद करना महत्वपूर्ण हो जाता है, जिसमें अक्टूबर 2019 में ईसीआई ने सिक्किम के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी प्रेम सिंह तमांग गोले को इस कानून से सुरक्षा प्रदान की थी.