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राहुल गांधी के लिए राम मंदिर उदघाटन समारोह से महाकुंभ अलग क्यों है?
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राहुल गांधी के महाकुंभ जाने की बात करीब करीब पक्की बताई जा रही है, लेकिन तारीख नहीं. कांग्रेस नेताओं की तरफ से 16 से लेकर 19 तक कई तारीखें बताई जा चुकी हैं, लेकिन कंफर्म इतना ही किया जा रहा है कि 26 फरवरी से पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनो संगम में डुबकी लगा सकते हैं.
राहुल गांधी ने जनवरी, 2024 के राम मंदिर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था. ऐसा करने वाले राहुल गांधी अकेले नहीं थे, बल्कि ममता बनर्जी की पहल पर विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के सभी नेताओं ने बीजेपी के बुलावे पर अयोध्या जाने से मना कर दिया था. हां, अरविंद केजरीवाल ने थोड़ी अलग लाइन ली थी, और बोले थे कि वो पूरे परिवार के साथ दर्शन करेंगे. बाद में अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान ने अयोध्या जाकर परिवार के साथ दर्शन किया भी.
आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल की तरह अखिलेश यादव ने भी राम मंदिर उद्घाटन समारोह के बाद किसी दिन दर्शन की बात कही थी. अयोध्या तो नहीं लेकिन समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने प्रयागराज महाकुंभ जाकर डुबकी तो लगा ही ली है.
शुरू में तो महाकुंभ पर भी अखिलेश यादव का का रवैया अयोध्या के राम मंदिर उद्घाटन जैसा ही था, लेकिन मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में भगदड़ के दौरान हुई मौतों पर बड़ी ही संजीदगी भरी प्रतिक्रिया दी थी - और मामला संसद में भी उठाया.
राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर पहले तो कांग्रेस के सभी नेताओं के अयोध्या न जाने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में राहुल गांधी का संशोधित बयान आया कि अगर कोई कांग्रेस नेता या कार्यकर्ता जाना चाहे तो निजी तौर पर जा सकता है.
सुनने में आया है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा दोनो ही महाकुंभ नहाने जाने वाले हैं. प्रियंका गांधी तो पहले भी कुंभ जाकर डुबकी लगा चुकी हैं. और, ये काम सोनिया गांधी भी कर चुकी हैं, लेकिन राहुल गांधी के लिए ये पहला मौका होगा - और हां, उनके लिए तो आस्था के साथ साथ राजनीतिक मौका भी माना जा रहा है.
महाकुंभ पर कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने
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महाराष्ट्र के डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने एक जोरदार बयान दिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि उन्हें हल्के में न लिया जाए. शिंदे ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें हल्के में लेगा, तो वे उसकी टांग पलट देंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि उनका और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कोई मतभेद नहीं है.
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रेखा गुप्ता ने बुधवार शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना से मुलाकात की और राष्ट्रीय राजधानी में सरकार बनाने का दावा पेश किया. उनके साथ राज्य भाजपा पर्यवेक्षक रविशंकर प्रसाद और ओपी धनखड़, शहर भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और दिल्ली के सांसद बांसुरी स्वराज, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत भी थे. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत जय पांडा भी राज निवास में मौजूद थे.
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रेखा गुप्ता को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी अब महिला मुख्यमंत्रियों की विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. दिल्ली ने कई महिला मुख्यमंत्री देखी हैं, जिनमें कांग्रेस की शीला दीक्षित का 15 साल का शासन भी शामिल है. साथ ही बीजेपी उन महिला वोटर्स पर भी फोकस कर रही है जिन्होंने चुनाव में पार्टी के पक्ष में जमकर मतदान किया है.
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रेखा गुप्ता का नाम दिल्ली की CM के रूप में चुना गया है, जो दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री और BJP की दूसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है. बीजेपी ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का संदेश दिया है. रेखा गुप्ता कल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी.
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अलका लांबा ने 1995 में नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की थी. वहीं, रेखा गुप्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से महासचिव चुनी गई थीं. उस समय दोनों युवा नेता छात्र राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बना रही थीं. अब, सालों बाद रेखा गुप्ता ने अपनी राजनीतिक यात्रा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.